RSS: RSS महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने की मांग की है. उन्होंने 1975 के आपातकाल के लिए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. दिल्ली में एक कार्यक्रम में होसबोले ने कहा कि आपातकाल के दौरान इन शब्दों को संविधान में जोड़ा गया था. उन्होंने इस पर बहस की जरूरत बताई.
होसबोले ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन्होंने आपातकाल लगाया, वे आज संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं. उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने आपातकाल में लोकतंत्र को कुचला और हजारों लोगों को जेल में डाला गया. विपक्षी नेताओं और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया.
इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल के दौरान नागरिक स्वतंत्रता निलंबित रही. होसबोले ने कहा कि न्यायपालिका और मीडिया की आजादी छीनी गई. बड़े पैमाने पर जबरन नसबंदी हुई. उन्होंने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया. होसबोले की टिप्पणी केंद्र सरकार द्वारा 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' मनाए जाने के बाद आई. सरकार ने आपातकाल की 50वीं बरसी पर देश की हालात को फिर से याद किया. पीएम मोदी ने इसे लोकतंत्र का काला अध्याय करार दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने संविधान की भावना का उल्लंघन किया. लोकतंत्र को बंधक बनाया गया.
पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि आपातकाल के दौरान संसद की आवाज दबाई गई. अदालतों को नियंत्रित करने की कोशिश हुई. उन्होंने कहा कि कोई भी भारतीय यह काला दौर नहीं भूलेगा. मोदी ने आपातकाल में पीड़ा झेलने वालों के योगदान को सराहा. होसबोले ने जोर देकर कहा कि संविधान में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों पर विचार जरूरी है. इन शब्दों को 42वें संशोधन के जरिए आपातकाल में जोड़ा गया था. उन्होंने इसे कांग्रेस की गलती बताया. उनकी यह मांग राजनीतिक बहस को तेज कर सकती है. होसबोले ने कहा कि आपातकाल का दर्द आज भी लोगों को याद है. उन्होंने युवाओं से लोकतंत्र की रक्षा का आह्वान किया. यह विवादास्पद बयान कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के साथ टकराव बढ़ा सकता है.