Shashi Tharoor: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने गुरुवार को पार्टी नेतृत्व के कुछ सदस्यों के साथ मतभेद की बात स्वीकारी है. हालांकि, उन्होंने नीलांबुर उपचुनाव के कारण इस मुद्दे पर खुलकर बोलने से इनकार किया. पत्रकारों से बातचीत में थरूर ने कांग्रेस के सिद्धांतों और कार्यकर्ताओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है.
शशि थरूर ने कहा कि कांग्रेस, इसके मूल्य और कार्यकर्ता मेरे लिए प्रिय हैं. मैं 16 साल से उनके साथ काम कर रहा हूं. उनकी प्रतिबद्धता और आदर्शवाद ने मुझे हमेशा प्रभावित किया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके मतभेद कुछ नेताओं के साथ हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, थरूर ने संकेत दिया कि उपचुनाव के बाद वे इस पर खुलकर बात कर सकते हैं.
थरूर से बात करते हुए मीडिया ने जब उनसे पूछा गया कि वे नीलांबुर उपचुनाव के प्रचार में क्यों नहीं दिखे? तो थरूर ने इसका सीधा जवाब देते हुए कहा कि मुझे आमंत्रित नहीं किया गया. पहले भी वायनाड उपचुनाव में ऐसा हुआ था. उन्होंने कहा कि वे केवल वहां जाते हैं, जहां उनकी जरूरत होती है. फिर भी, वे चाहते हैं कि यूडीएफ उम्मीदवार जीते और कार्यकर्ताओं का अभियान सफल हो. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से और शशि थरूर की मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात को लेकर उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी थी. इसमें विभिन्न देशों की यात्राओं और वहां की चर्चाओं पर बात हुई. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस दौरान कोई घरेलू राजनीति पर चर्चा नहीं हुई.
थरूर ने केंद्र के निमंत्रण को स्वीकार करने का बचाव करते हुए कहा कि वे हमेशा भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हैं. उन्होंने कहा कि जब देश का सवाल हो, तो मैं भारतीय नागरिक के रूप में अपना कर्तव्य निभाता हूं. नीलांबुर में उपचुनाव वाम लोकतांत्रिक मोर्चे के स्वतंत्र विधायक पीवी अनवर के इस्तीफे के बाद हो रहा है. अनवर ने सत्तारूढ़ गठबंधन से नाता तोड़कर टीएमसी जॉइन कर ली. यूडीएफ उम्मीदवार आर्यदान शौकत ने जीत का भरोसा जताया. उन्होंने राज्य सरकार पर नीलांबुर की उपेक्षा का आरोप लगाया. शौकत ने कहा कि पिछले नौ साल से क्षेत्र की अनदेखी हो रही है. आदिवासियों का पुनर्वास नहीं हुआ. मानव-पशु संघर्ष भी बढ़ा है.
Shashi Tharoor: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने गुरुवार को पार्टी नेतृत्व के कुछ सदस्यों के साथ मतभेद की बात स्वीकारी है. हालांकि, उन्होंने नीलांबुर उपचुनाव के कारण इस मुद्दे पर खुलकर बोलने से इनकार किया. पत्रकारों से बातचीत में थरूर ने कांग्रेस के सिद्धांतों और कार्यकर्ताओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है.
शशि थरूर ने कहा कि कांग्रेस, इसके मूल्य और कार्यकर्ता मेरे लिए प्रिय हैं. मैं 16 साल से उनके साथ काम कर रहा हूं. उनकी प्रतिबद्धता और आदर्शवाद ने मुझे हमेशा प्रभावित किया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके मतभेद कुछ नेताओं के साथ हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, थरूर ने संकेत दिया कि उपचुनाव के बाद वे इस पर खुलकर बात कर सकते हैं.
थरूर से बात करते हुए मीडिया ने जब उनसे पूछा गया कि वे नीलांबुर उपचुनाव के प्रचार में क्यों नहीं दिखे? तो थरूर ने इसका सीधा जवाब देते हुए कहा कि मुझे आमंत्रित नहीं किया गया. पहले भी वायनाड उपचुनाव में ऐसा हुआ था. उन्होंने कहा कि वे केवल वहां जाते हैं, जहां उनकी जरूरत होती है. फिर भी, वे चाहते हैं कि यूडीएफ उम्मीदवार जीते और कार्यकर्ताओं का अभियान सफल हो. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से और शशि थरूर की मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात को लेकर उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी थी. इसमें विभिन्न देशों की यात्राओं और वहां की चर्चाओं पर बात हुई. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस दौरान कोई घरेलू राजनीति पर चर्चा नहीं हुई.
थरूर ने केंद्र के निमंत्रण को स्वीकार करने का बचाव करते हुए कहा कि वे हमेशा भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हैं. उन्होंने कहा कि जब देश का सवाल हो, तो मैं भारतीय नागरिक के रूप में अपना कर्तव्य निभाता हूं. नीलांबुर में उपचुनाव वाम लोकतांत्रिक मोर्चे के स्वतंत्र विधायक पीवी अनवर के इस्तीफे के बाद हो रहा है. अनवर ने सत्तारूढ़ गठबंधन से नाता तोड़कर टीएमसी जॉइन कर ली. यूडीएफ उम्मीदवार आर्यदान शौकत ने जीत का भरोसा जताया. उन्होंने राज्य सरकार पर नीलांबुर की उपेक्षा का आरोप लगाया. शौकत ने कहा कि पिछले नौ साल से क्षेत्र की अनदेखी हो रही है. आदिवासियों का पुनर्वास नहीं हुआ. मानव-पशु संघर्ष भी बढ़ा है.