रेणुकास्वामी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने बदला कनार्टक उच्च न्यायालय का फैसला, अभिनेता दर्शन की ज़मानत रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बहुचर्चित रेणुकास्वामी हत्याकांड में अभिनेता दर्शन को मिली ज़मानत रद्द कर दी. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि दर्शन की तुरंत गिरफ्तारी की जाए. पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले को यांत्रिक कार्यवाही करार दिया.

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Courtesy: Social Media

Renukaswamy Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रेणुकास्वामी हत्याकांड में आरोपी अभिनेता दर्शन को मिली ज़मानत रद्द कर दी है. अदालत ने कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है और जमानत देने से अभियुक्तों के प्रभाव का खतरा है. न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के पिछले आदेश को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया.

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि दर्शन की तुरंत गिरफ्तारी की जाए. पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले को यांत्रिक कार्यवाही करार दिया. अदालत ने यह भी टिप्पणी कि जिस दिन हमें पता चलेगा कि अभियुक्त को पाँच सितारा सुविधा दी जा रही है, पहला कदम जेल अधीक्षक को निलंबित करना होगा.

क्या है पूरा मामला?

यह फैसला कर्नाटक सरकार की उस याचिका के बाद आया, जिसमें राज्य ने दर्शन और अन्य अभियुक्तों की जमानत रद्द करने की मांग की थी. सरकार ने अदालत में कई अहम सबूत पेश किए, जिनसे अभिनेता की कथित संलिप्तता सामने आती है. दलील में कहा गया कि उच्च न्यायालय का जमानत देने का निर्णय त्रुटिपूर्ण था और इससे जांच प्रभावित हो सकती है. राज्य सरकार ने बताया कि फोरेंसिक जांच में अभियुक्तों के जूतों पर मिली मिट्टी अपराध स्थल से मेल खाती है. साथ ही, उनके कपड़ों पर रेणुकास्वामी का खून पाया गया. ये तथ्य मामले को और मजबूत बनाते हैं. 33 वर्षीय रेणुकास्वामी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया कि उनकी मौत कई कुंद चोटों के कारण हुई. रिपोर्ट के मुताबिक, चोटों से अत्यधिक खून बहने के कारण शॉक हैमरेज से उनकी जान गई.

सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा

दर्शन को इस मामले में शुरुआती जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, दिसंबर 2024 में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी थी. इसके बाद पीड़ित पक्ष और राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. इस आदेश के साथ शीर्ष अदालत ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि गंभीर अपराधों में अदालतों को जमानत देने से पहले सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. अदालत ने यह भी इशारा किया कि आरोपी को जेल में विशेष सुविधाएं देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.

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