Misleading Advertisements Case: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार यानि की कल पंतजलि के औषधीय उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर कहा है. औषधीय उत्पादों में निर्दैशों का उल्लंघन करने के लिए बाबा रामदेव को कड़ी फटकार लगाई है. इस दौरान बाबा राम देव अदालत में मौजूद थे जहां उन्होंने बिना शर्त के माफी मांगी है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान पतंजलि की ओर से दाखिल हलफनामे पर असंतोष जताया है.
भ्रामक विज्ञापन मामले से संबंधित बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था. आपको बता दें, इस मामले में सिर्फ पतंजलि ने हलफनामा दाखिल किया है, जिसके एमडी बालकृष्ण हैं. इसके अलावा बाबा रामदेव को व्यक्तिगत रूप से भी हलफनामा देना था.
बाबा रामदेव के वकील ने कहा कि बाबा रामदेव व्यक्तिगत रूप से पेश होकर माफी मांगना चाहते थे. इस बात पर कोर्ट ने कहा कि हलकनामा पहले आना चहिए था. कोर्ट ने बोला की क्या कोर्ट से पूछकर हलफनामा लिखेगें. कोर्ट की तरफ से कहा गया कि 21 नवंबर को कोर्ट में हलफनामा देने के बाद भी पंतजलि ने अपने भ्रामक विज्ञापन दिया. रामदेव ने अगले दिन प्रेस कांफ्रेंस भी की.
वकील ने कहा कि उन्हें सबक मिल गया है. हमारी तरफ से अवमानना कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाने पर ही सबक मिलेगा. वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दखल दिया और कहा कि वह वकीलों से बात कर उचित हलफनामा दाखिल करवाएंगे. मेहता ने ये भी कहा कि एलोपैथी की आलोचना हो ही नहीं सकती, यह कहना गलत है. याचिकाकर्ता IMA को ऐसा दावा नहीं करना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि बाबा रामदेव ने योग के लिए अच्छा काम किया है. लेकिन कानून के खिलाफ इस तरीके से विज्ञापन नहीं दिए जा सकते हैं. इसके अलावा कोर्ट ने कहा की 30 नवंबर को दाखिल हलफनामे में भी पतंजलि ने कोर्ट में गलत दावा किया कि वो पिछले हलफनामे का पालन करेगें . वहीं अगले सप्ताह फिर सुनवाई होगी.