Shibu Soren Death: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हो गया. 81 वर्षीय नेता लंबे समय से बीमार थे. दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में डॉक्टरों की टीम द्वारा आज सुबह उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. उनके बेटे और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भावुक संदेश में कहा कि आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सबको छोड़कर चले गए. आज मैं शून्य हो गया हूं.
शिबू सोरेन को जून 2025 में किडनी की समस्या के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया था. डेढ़ महीने पहले उन्हें ब्रेन स्ट्रोक भी हुआ था. इसके बाद उनकी हालत गंभीर हो गई. वे एक महीने से वेंटिलेटर पर थे. हेमंत सोरेन लगातार दिल्ली में अपने पिता की देखभाल के लिए मौजूद थे.
शिबू सोरेन के निधन पर झारखंड सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की. विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने बताया कि उनके सम्मान में सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. पूरे झारखंड में शोक की लहर है. लोग अपने प्रिय नेता ‘दिशोम गुरु’ को याद कर रहे हैं.
शिबू सोरेन ने 1972 में एके रॉय और बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झामुमो की स्थापना की. संथाल समुदाय से आने वाले शिबू ने आदिवासियों के अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष किया. इसके अलावा उन्होंने झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलवाने के लिए भी संघर्ष किया. वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने, लेकिन हर बार उनका कार्यकाल छोटा रहा. उन्होंने केंद्र में कोयला मंत्री के रूप में भी काम किया.
शिबू सोरेन का राजनीतिक करियर चार दशकों तक चला. वे आठ बार लोकसभा सांसद और दो बार राज्यसभा सांसद रहे. दुमका उनकी कर्मभूमि थी, जो झामुमो का गढ़ बना. उनकी सादगी और आदिवासी समुदाय के प्रति समर्पण ने उन्हें ‘गुरुजी’ का दर्जा दिलाया. उनके नेतृत्व में झामुमो ने सामाजिक न्याय की मजबूत आवाज उठाई. उनके समर्थक और नेता उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक जताया और हेमंत सोरेन से बात की. उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन आदिवासियों और गरीबों के सशक्तिकरण के लिए समर्पित थे. शिबू सोरेन की विरासत झारखंड की राजनीति में हमेशा जीवित रहेगी.