ATM Azharul Islam: बांग्लादेश का उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को जमात-ए-इस्लामी के आतंकवादी एटीएम अजहरुल इस्लाम को बरी करने का फैसला लिया है हालांकि इससे पहले उसे 1971 के मुक्ति संग्राम में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मौत की सजा दी जा चुकी है. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया. यह निर्णय बांग्लादेश की राजनीति में हलचल मचा सकता है.
एटीएम अजहरुल को 2012 में गिरफ्तार किया गया था. उसे 1971 में पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर 1,256 हत्याएं, 17 अपहरण और 13 बलात्कार के लिए दोषी ठहराया गया था. वह नरसंहार, यातना, लूट और आगजनी में शामिल था. अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने 2014 में उसे दोषी करार दिया. उसे तीन मामलों में मौत की सजा और दो में कारावास मिल चुका है.
महिलाओं के साथ अत्याचार, हजारों की मौत
अजहरुल ने सभी अपराध 'ऑपरेशन सर्चलाइट' के दौरान किया था. इस दौरान रंगपुर डिवीजन में उसने कई हमले किए थे. 16 अप्रैल को मोक्षेदपुर गांव में उसने घर जलाए और हत्याएं कर दी. 17 अप्रैल को झारूआरबील में 1,200 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी गई. इसके बाद 30 अप्रैल को रंगपुर कारमाइकल कॉलेज में चार प्रोफेसरों और उनकी पत्नी की हत्या की गई. अजहरुल ने रंगपुर में बलात्कार शिविर चलाया. मार्च से दिसंबर 1971 तक उसने कई महिलाओं को अपहरण, यातना और बलात्कार का शिकार बनाया. वह 'जॉय बांग्ला' का नारा लगाने वाले युवक के भाई पर हमले में भी शामिल था. इन अपराधों के बावजूद उसे बरी किया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में अजहरुल की मौत की सजा बरकरार रखी थी. लेकिन फरवरी 2025 में उसे नई अपील की इजाजत दी गई. जिसके बाद मंगलवार को अपीलीय डिवीजन ने उसे बरी कर दिया. वकील गाजी तमीम ने बताया कि यह फैसला अंतिम है, इसके आगे कोई मंच नहीं बचा है. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में इस्लामवादी गतिविधियां बढ़ी हैं. यूनुस ने जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध हटाया. उन्होंने कट्टरपंथी संगठन के नेताओं को रिहा किया. हिंदू समुदाय पर हमले भी बढ़े हैं. यूनुस ने इन हमलों को कमतर बताया. पाकिस्तानी सेना ने 1971 में ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू किया. यह बंगाली आबादी को दबाने के लिए था. हालांकि भारत के हस्तक्षेप से बांग्लादेश आजाद हुआ. लेकिन युद्ध अपराधों का हिसाब अब तक बाकी है. अजहरुल की रिहाई ने बांग्लादेश में विवाद खड़ा कर दिया.
ATM Azharul Islam: बांग्लादेश का उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को जमात-ए-इस्लामी के आतंकवादी एटीएम अजहरुल इस्लाम को बरी करने का फैसला लिया है हालांकि इससे पहले उसे 1971 के मुक्ति संग्राम में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मौत की सजा दी जा चुकी है. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया. यह निर्णय बांग्लादेश की राजनीति में हलचल मचा सकता है.
एटीएम अजहरुल को 2012 में गिरफ्तार किया गया था. उसे 1971 में पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर 1,256 हत्याएं, 17 अपहरण और 13 बलात्कार के लिए दोषी ठहराया गया था. वह नरसंहार, यातना, लूट और आगजनी में शामिल था. अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने 2014 में उसे दोषी करार दिया. उसे तीन मामलों में मौत की सजा और दो में कारावास मिल चुका है.
महिलाओं के साथ अत्याचार, हजारों की मौत
अजहरुल ने सभी अपराध 'ऑपरेशन सर्चलाइट' के दौरान किया था. इस दौरान रंगपुर डिवीजन में उसने कई हमले किए थे. 16 अप्रैल को मोक्षेदपुर गांव में उसने घर जलाए और हत्याएं कर दी. 17 अप्रैल को झारूआरबील में 1,200 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी गई. इसके बाद 30 अप्रैल को रंगपुर कारमाइकल कॉलेज में चार प्रोफेसरों और उनकी पत्नी की हत्या की गई. अजहरुल ने रंगपुर में बलात्कार शिविर चलाया. मार्च से दिसंबर 1971 तक उसने कई महिलाओं को अपहरण, यातना और बलात्कार का शिकार बनाया. वह 'जॉय बांग्ला' का नारा लगाने वाले युवक के भाई पर हमले में भी शामिल था. इन अपराधों के बावजूद उसे बरी किया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में अजहरुल की मौत की सजा बरकरार रखी थी. लेकिन फरवरी 2025 में उसे नई अपील की इजाजत दी गई. जिसके बाद मंगलवार को अपीलीय डिवीजन ने उसे बरी कर दिया. वकील गाजी तमीम ने बताया कि यह फैसला अंतिम है, इसके आगे कोई मंच नहीं बचा है. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में इस्लामवादी गतिविधियां बढ़ी हैं. यूनुस ने जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध हटाया. उन्होंने कट्टरपंथी संगठन के नेताओं को रिहा किया. हिंदू समुदाय पर हमले भी बढ़े हैं. यूनुस ने इन हमलों को कमतर बताया. पाकिस्तानी सेना ने 1971 में ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू किया. यह बंगाली आबादी को दबाने के लिए था. हालांकि भारत के हस्तक्षेप से बांग्लादेश आजाद हुआ. लेकिन युद्ध अपराधों का हिसाब अब तक बाकी है. अजहरुल की रिहाई ने बांग्लादेश में विवाद खड़ा कर दिया.