ट्रंप के ए्जीक्यूटिव ऑर्डर को कोर्ट का झटका, नागरिकता कानून पर अदालत ने लगाई रोक

अमेरिका के राष्टपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही लगभग 1000 ए्जीक्यूटिव ऑर्डर पास कर दिए. जिसमें एक ऑर्डर अमेरिका में स्वतः जन्मसिद्ध नागरिकता के अधिकार को रद्द करने का भी था. ट्रंप के इस फैसले से वहां रहने वाले हजारों अप्रवासियों पर संकट का खतरा मंडराने लगा था. हालांकि अब ट्रंप के इस फैसले को एक संघीय न्यायाधीश ने गुरुवार को इसे स्पष्ट रूप से असंवैधानिक करार दिया है.

Date Updated
फॉलो करें:
Courtesy: Social Media

Donald Trump: अमेरिका के राष्टपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही लगभग 1000 ए्जीक्यूटिव ऑर्डर पास कर दिए. जिसमें एक ऑर्डर अमेरिका में स्वतः जन्मसिद्ध नागरिकता के अधिकार को रद्द करने का भी था. ट्रंप के इस फैसले से वहां रहने वाले हजारों अप्रवासियों पर संकट का खतरा मंडराने लगा था. हालांकि अब ट्रंप के इस फैसले को एक संघीय न्यायाधीश ने गुरुवार को इसे स्पष्ट रूप से असंवैधानिक करार दिया है.

चार डेमोक्रेटिक नेतृत्व वाले राज्यों के अनुरोध का सम्मान करते हुए अमेरिकी जिला न्यायाधीश जॉन कॉफ़नर ने ट्रम्प प्रशासन को आदेश को लागू करने से रोकने के लिए एक अस्थायी आदेश जारी किया. 20 जनवरी को दूसरी बार पदभार ग्रहण करने वाले ट्रम्प ने सोमवार को आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जो उनके पद पर आने का पहला दिन था. ट्रम्प के कार्यकारी आदेश के तहत जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने की समय सीमा 20 फरवरी है.

असंवैधानिक आदेश

संघीय न्यायाधीश का आदेश डेमोक्रेटिक नेतृत्व वाले राज्यों और नागरिक अधिकार समूहों द्वारा ट्रम्प के जन्मसिद्ध नागरिकता को वापस लेने के प्रयास को चुनौती देने वाले कई मुकदमे दायर करने के ठीक एक दिन बाद आया, जो उनके विरोधियों द्वारा अदालत में उनके एजेंडे को रोकने का एक प्रारंभिक प्रयास था. रिपब्लिकन ट्रम्प ने सोमवार को अपने उद्घाटन के बाद अमेरिकी एजेंसियों को आदेश दिया कि वे अमेरिका में जन्मे बच्चों की नागरिकता को मान्यता देने से इनकार करें. यदि उनकी मां या पिता में से कोई भी अमेरिकी नागरिक या कानूनी स्थायी निवासी नहीं है. उनके इस आदेश पर प्रतिबंध लगाते हुए न्यायमूर्ति कफ़नौर ने कहा कि मुझे यह समझने में परेशानी हो रही है कि बार का एक सदस्य स्पष्ट रूप से कैसे कह सकता है कि यह आदेश संवैधानिक है.

प्रशासन की पहली बड़ी अदालती लड़ाई

वाशिंगटन, एरिज़ोना, इलिनोइस और ओरेगन जैसे लोकतांत्रिक शासित राज्यों ने कहा कि ट्रम्प का आदेश अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के नागरिकता खंड में निहित अधिकार का उल्लंघन है. इसमें प्रावधान है कि अमेरिका में पैदा हुआ कोई भी व्यक्ति देश का नागरिक है. ट्रम्प द्वारा कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही घंटों बाद अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन, अप्रवासी संगठनों और एक गर्भवती मां द्वारा दो समान मामले दायर किए गए. जिससे उनके प्रशासन की पहली बड़ी अदालती लड़ाई शुरू हो गई. मैसाचुसेट्स अटॉर्नी जनरल एंड्रिया जॉय कैंपबेल के कार्यालय ने कहा कि अगर ट्रम्प के आदेश को लागू होने दिया जाता है. तो यह पहली बार अमेरिका में हर साल पैदा होने वाले 150,000 से अधिक बच्चों को नागरिकता के अधिकार से वंचित करेगा.

आदेश के बाद सी सेक्शन के लिए पहुंची महिलाएं

उन्होंने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प के पास संवैधानिक अधिकारों को छीनने का अधिकार नहीं है. ट्रम्प द्वारा जन्मसिद्ध नागरिकता पर प्रतिबंध लगाने के आदेश के बाद, प्रतिबंध की समय सीमा से पहले अमेरिका में जन्म देने की होड़ मच गई. भारतीय जोड़े 20 फरवरी से पहले सी-सेक्शन के लिए डॉक्टरों को फोन कर रहे थे और प्रसूति क्लीनिकों में लाइन में खड़े थे. एक भारतीय मूल के स्त्री रोग विशेषज्ञ ने कहा कि उन्हें लगभग 20 ऐसे जोड़ों से कॉल आए. उल्लेखनीय रूप से इस दिशा में दायर किए गए अन्य मुकदमों की एक बड़ी संख्या भी नागरिक अधिकार समूहों और 22 राज्यों के डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल द्वारा पूरे अमेरिका में लंबित है.

Tags :