PAK India Peace Talks: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भारत के साथ शांति वार्ता करना चाहते हैं. उन्होंने कश्मीर, आतंकवाद, जल बंटवारा और व्यापार जैसे मुद्दों को बातचीत से हल करने की बात कही है. यह बयान तेहरान में उनकी चार देशों की यात्रा के दौरान आया. लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि बातचीत केवल आतंकवाद और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) तक सीमित होगी.
तेहरान में सोमवार को शरीफ ने कहा कि हम कश्मीर और जल विवाद सहित सभी मुद्दों को बातचीत से सुलझाना चाहते हैं. हम व्यापार और आतंकवाद-रोधी कदमों पर भी चर्चा के लिए तैयार हैं. यह बयान पहलगाम आतंकी हमले और भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पर तनाव कम होने के कुछ हफ्तों बाद आया. इस दौरान शरीफ ने चेतावनी भी दी कि अगर भारत युद्ध चुनता है, तो पाकिस्तान जवाब देगा. उन्होंने कहा कि हम अपनी जमीन की रक्षा करेंगे, लेकिन शांति के लिए हम गंभीर हैं.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं हो सकते. उन्होंने कहा कि आतंक और व्यापार साथ नहीं चल सकते. उन्होंने कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते. पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि बातचीत केवल आतंकवाद और पीओके पर होगी. भारत ने यह भी साफ किया कि यह द्विपक्षीय मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता, की कोई जरूरत नहीं है.
भारत ने पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. जिसमें आतंकियों को निशाना बनाया गया. हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया गया. जवाब में, पाकिस्तानी सेना ने ड्रोन और मिसाइल हमले किए. हालांकि भारत को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ. भारत ने भी जवाबी कार्रवाई में कई पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया.
पाकिस्तान ने भारत से तीन दिन के युद्ध के बाद 10 मई को युद्धविराम के लिए संपर्क किया. सैन्य स्तर की वार्ता के बाद दोनों देशों ने शत्रुता रोकने पर सहमति जताई. इस समझौते ने सीमा पर तनाव को कुछ हद तक कम किया. लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ उसका रुख सख्त रहेगा. शरीफ की शांति वार्ता की पेशकश के बावजूद, भारत का रुख स्पष्ट है. पीएम मोदी ने यह साफ कर दिया है कि भारत आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा. दोनों देशों के बीच तनाव का इतिहास रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि विश्वास बहाली के लिए पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने होंगे. फिलहाल, दोनों पक्षों की ओर से सतर्कता बरती जा रही है.
PAK India Peace Talks: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भारत के साथ शांति वार्ता करना चाहते हैं. उन्होंने कश्मीर, आतंकवाद, जल बंटवारा और व्यापार जैसे मुद्दों को बातचीत से हल करने की बात कही है. यह बयान तेहरान में उनकी चार देशों की यात्रा के दौरान आया. लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि बातचीत केवल आतंकवाद और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) तक सीमित होगी.
तेहरान में सोमवार को शरीफ ने कहा कि हम कश्मीर और जल विवाद सहित सभी मुद्दों को बातचीत से सुलझाना चाहते हैं. हम व्यापार और आतंकवाद-रोधी कदमों पर भी चर्चा के लिए तैयार हैं. यह बयान पहलगाम आतंकी हमले और भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पर तनाव कम होने के कुछ हफ्तों बाद आया. इस दौरान शरीफ ने चेतावनी भी दी कि अगर भारत युद्ध चुनता है, तो पाकिस्तान जवाब देगा. उन्होंने कहा कि हम अपनी जमीन की रक्षा करेंगे, लेकिन शांति के लिए हम गंभीर हैं.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं हो सकते. उन्होंने कहा कि आतंक और व्यापार साथ नहीं चल सकते. उन्होंने कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते. पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि बातचीत केवल आतंकवाद और पीओके पर होगी. भारत ने यह भी साफ किया कि यह द्विपक्षीय मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता, की कोई जरूरत नहीं है.
भारत ने पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. जिसमें आतंकियों को निशाना बनाया गया. हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया गया. जवाब में, पाकिस्तानी सेना ने ड्रोन और मिसाइल हमले किए. हालांकि भारत को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ. भारत ने भी जवाबी कार्रवाई में कई पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया.
पाकिस्तान ने भारत से तीन दिन के युद्ध के बाद 10 मई को युद्धविराम के लिए संपर्क किया. सैन्य स्तर की वार्ता के बाद दोनों देशों ने शत्रुता रोकने पर सहमति जताई. इस समझौते ने सीमा पर तनाव को कुछ हद तक कम किया. लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ उसका रुख सख्त रहेगा. शरीफ की शांति वार्ता की पेशकश के बावजूद, भारत का रुख स्पष्ट है. पीएम मोदी ने यह साफ कर दिया है कि भारत आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा. दोनों देशों के बीच तनाव का इतिहास रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि विश्वास बहाली के लिए पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने होंगे. फिलहाल, दोनों पक्षों की ओर से सतर्कता बरती जा रही है.