SCO शिखर सम्मेलन में मोदी-पुतिन की मुलाकात, शहबाज शरीफ दिखें निराश!

एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया. सम्मेलन के दौरान एक वायरल दृश्य ने सबका ध्यान खींचा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गर्मजोशी से बातचीत करते हुए कार्यक्रम स्थल में दाखिल हुए. इसी दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को मोदी ने पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया.

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Courtesy: Social Media

PM Modi Ignores Shahbaz Sharif: चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन का शानदार आयोजन किया गया. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक भव्य भोज के साथ रविवार शाम इसकी शुरुआत की. इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया. दस सदस्य देशों के इस सबसे बड़े शिखर सम्मेलन में 20 विदेशी नेता और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल हुए. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस भी इस आयोजन का हिस्सा बने.  

सम्मेलन के दौरान एक वायरल दृश्य ने सबका ध्यान खींचा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गर्मजोशी से बातचीत करते हुए कार्यक्रम स्थल में दाखिल हुए. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को गले लगाया, जो उनकी दोस्ती का प्रतीक बना. लेकिन इस दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को मोदी ने पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया. शरीफ अकेले और अलग-थलग नजर आए. यह दृश्य भारत-पाकिस्तान के तनावपूर्ण रिश्तों को दर्शाता है.  

भारत-पाक के बीच चरम पर तनाव

एससीओ शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हुई, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी. इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर जैसे आतंकवाद-रोधी अभियानों को तेज कर दिया है. इन घटनाओं ने दोनों देशों के राजनयिक रिश्तों को और तनावपूर्ण बना दिया. एससीओ जैसे मंचों पर भी दोनों देशों के बीच संवाद की संभावना कम दिखती है.

वैश्विक एकता पर जोर

मोदी द्वारा शरीफ की उपेक्षा को भारत के सख्त रुख के रूप में देखा जा रहा है. सोमवार को शी जिनपिंग ने एससीओ की 25वीं बैठक को संबोधित किया. उन्होंने निष्पक्षता और न्याय बनाए रखने की अपील की. शी ने कहा कि हमें द्वितीय विश्व युद्ध के सही ऐतिहासिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना चाहिए. शीत युद्ध की मानसिकता और टकराव का विरोध करना चाहिए. उनके इस बयान ने वैश्विक एकता पर जोर दिया. मोदी, शी और पुतिन ने एक साथ हाथ मिलाकर एकता का संदेश दिया, जो बदलती विश्व व्यवस्था का प्रतीक बना.  

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