Russia New Missile: अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की टेंशन रूस ने एक बार फिर से बढ़ा दी है. दो अमेरिकी शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है कि उन्होंने रूस की 9M370 ब्यूरवेस्टनिक मिसाइल की डेप्लॉयमेंट साइट का पता लगा लिया है. प्लैनेट लैब्स से सैटेलाइट द्वारा ली गई तस्वीरों में इस बात का खुलासा हुआ है. शोधकर्ताओं ने इन तस्वीरों के माध्यम से परमाणु हथियारों की स्टोरेज फैसिलिटी के पास एक कंस्ट्रक्शन साइट का भी पता लगाया है.
एक रिपोर्ट के अनुसार जिस साइट का पता अमेरिकी शोधकर्ताओं ने लगाया है उसे वोलोग्दा-20 और चेब्सारा के रूप में जाना जाता है. यह मॉस्को के उत्तर में 475 किमी की दूरी पर स्थित है. यह जगह पहले रूस की जमीनी मिसाइलों के परमाणु पेलोड के स्टोरेज के लिए थी. अब इस साइट को ब्यूरवेस्टनिक मिसाइल्स का अड्डा बनाया जा चुका है. शोधकर्ताओं ने यह भी दावा किया है कि यहां पर इस मिसाइल की एक लॉन्च साइट भी बनाई गई है. इस रिपोर्ट ने अमेरिका और बाकी पश्चिमी देशों की टेंशन बढ़ा दी है.
एक रिपोर्ट के अनुसार रूसी शस्त्रागार में 9M370 ब्यूरवेस्टनिक मिसाइल बेहद विवादित वैपेन है. साल 2018 के मार्च मे पहली बार यह खुलासा हुआ था कि इस मिसाइल को परमाणु हथियार ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है. यह मिसाइल परमाणु संचालित इंजन से ऑपरेट होती है. इस कारण यह इसको असीमित मारक क्षमता वाला बनाता है. वहीं, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के अनुसार, ब्यूरवेस्टनिक की रेंज सीमा 20000 किमी लगभग 12400 मील तक हो सकती है. जो इसे रूसी क्षेत्र से दुनिया में कहीं भी हमला करने की ताकत देता है.
ब्यूरवेस्टनिक मिसाइल की सटीक जानकारी पूरी दुनिया के पास काफी कम है. माना जाता है कि इस मिसाइल को एक छोटे सॉलिड फ्यूल वाले रॉकेट से लॉन्च किया जाता है. जो एक स्मॉल न्यूक्लियर इंजन से हवा में चलती है. यह रिएक्टर हवा को गर्म कर देता है और आवश्यकता पड़ने पर यह मिसाइल कई दिनों तक हवा में भी रह सकती है. कई रिपोर्ट्स में तो यहां तक दावा किया गया है कि इस मिसाइल को ग्राउंड बेस्ड ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर वाहनों से भी लॉन्च किया जा सकता है.
राष्ट्रीय वायु और अंतरिक्ष खुफिया केंद्र (NASIC) की रिपोर्ट के मुताबिक अगर इस मिसाइल को सफलतापूर्वक तैनात किया जाता है तो यह कई महाद्वीपों पर भी हमला करने की क्षमता रखती है. यह मिसाइल कम ऊंचाई पर भी उड़ान भर सकती है और मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी इसको काफी हद तक नष्ट नहीं कर पाते हैं. इस कारण रूस के लिए यह काफी शानदार हथियार है. वहीं, पश्चिमी देश के विशेषज्ञों के बीच इस मिसाइल की खूबियों को लेकर एक संशय बना हुआ है.
इस मिसाइल के सक्सेस रेट की बात करें तो 2016 के बाद से इसके 13 परीक्षण किए गए हैं. इनमें से मात्र 2 परीक्षणों में ही आंशिक सफलता प्राप्त हुई है. साल 2019 में हुए टेस्ट में यह मिसाइल फेल हो गई थी. इसके एक विस्फोट के कारण व्हाइट सी में विकिरण रिसाव हुआ था और इसमें पांच रूसी परमाणु विशेषज्ञों की मौत हो गई थी. ऐसे में यह एक बड़ा सवाल है कि क्या इस मिसाइल को तैनात किया जा सकता है. हालांकि इस मिसाइल का विकास टेक्निकल और कूटनीतिक चुनौतियों से भरा हुआ है. रूस के राष्ट्रपति इस बात का दावा जरूर करते हैं कि यह मिसाइल दुनिया में बेजोड़ है. इसके बाद भी यह एक सवाल ही है कि क्या इस मिसाइल का उपयोग किया जा सकता है. पश्चिमी देशों के विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें काफी संदेह है कि इस मिसाइल का उपयोग हो सकता है.
अमेरिका के पूर्व विदेश विभाग के एक अधिकारी इसकी खूब आलोचना करते हैं. उनका कहना है कि यह विनाशकारी दुर्घटनाओं वाली एक मिसाइल है. इसके उड़ान से रेडियोधर्मी प्रदूषण का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है. अमेरिका इस कारण चिंतित है क्योंकि इस मिसाइल का डेवलपमेंट और तैनती न्यू स्टार्ट संधि, अंतिम शेष यूएस-रूस हथियार नियंत्रण समझौते के तहत प्रतिबंधित नहीं है. यह संधि 2026 में समाप्त हो रही है.