Ukrainian President Zelenskyy: यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने रविवार को खुलासा किया कि यूक्रेनी सेना ने रूस के अंदर एक विशाल ड्रोन हमला किया. इसे 'शानदार अभियान' बताते हुए, उन्होंने कहा कि इस हमले से रूस को 'महत्वपूर्ण और उचित' नुकसान हुआ. यह अभियान डेढ़ साल की तैयारी के बाद किया गया.
ज़ेलेंस्की ने अपने राष्ट्रीय संबोधन में बताया कि इस उच्च जोखिम वाले अभियान में केवल सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया. इसमें 117 ड्रोन का इस्तेमाल हुआ, जो रूस के तीन अलग-अलग समय क्षेत्रों में तैनात किए गए. उन्होंने यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (एसबीयू) और सशस्त्र बलों की तारीफ की. उन्होंने कहा कि हर विवरण को पूरी तरह लागू किया गया. इस ऑपरेशन में रूस के 34% रणनीतिक क्रूज मिसाइल वाहकों को निशाना बनाया गया.
यूक्रेनी खुफिया ने हमले को 'स्पाइडरवेब' नाम दिया. इसे रूसी FSB कार्यालय के पास से लॉन्च किया गया. ज़ेलेंस्की ने बताया कि ऑपरेशन से पहले रूस में मौजूद यूक्रेनी सहायकों को सुरक्षित निकाल लिया गया. एसबीयू के मुताबिक, इस गुप्त ऑपरेशन से रूस को लगभग 7 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. 40 से अधिक रूसी विमान प्रभावित हुए, जिनमें TU-95 और Tu-22M3 बमवर्षक और एक A-50 निगरानी विमान शामिल हैं. इस हमले में प्रमुख लक्ष्य इरकुत्स्क में बेलाया एयरबेस (यूक्रेन सीमा से 4,500 किमी), रियाज़ान में डायगिलेवो एयरबेस (सीमा से 520 किमी), मरमंस्क के पास ओलेन्या बेस और इवानोवो एयरबेस शामिल था. यह 2022 के बाद से यूक्रेन का सबसे बड़ा ड्रोन हमला माना जा रहा है.
जेलेंस्की ने कहा कि हमले से पहले यूक्रेनी खुफिया ने रूस के एक और बड़े मिसाइल और ड्रोन हमले की योजना का पता लगाया था. उन्होंने नागरिकों से हवाई हमले की चेतावनियों को गंभीरता से लेने को कहा. उन्होंने बताया कि कल रात ही 500 रूसी ड्रोन हमले हुए. हर हफ्ते हमलों की संख्या बढ़ रही है. रूस ने नौसेना से कलिब्र क्रूज मिसाइलें भी दागीं है. ज़ेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन ने रूस को युद्धविराम की पेशकश की थी. 11 मार्च से अमेरिकी प्रस्ताव पर विचार चल रहा था, लेकिन रूस ने युद्ध जारी रखने का फैसला किया. यह हमला इस्तांबुल में सोमवार को होने वाली शांति वार्ता से ठीक पहले हुआ.
यूक्रेन ने वार्ता के लिए एक रूपरेखा प्रस्तुत की है. जिसमें पूर्ण युद्धविराम, कैदियों की अदला-बदली, बंधकों की रिहाई, अपहृत बच्चों की वापसी शामिल हैं. हालांकि, प्रगति की संभावना कम दिख रही है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तुर्की में बातचीत का सुझाव दिया था, लेकिन वह स्वयं नहीं आए. दोनों पक्ष अब निम्न-स्तरीय प्रतिनिधियों तक सीमित हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी पुतिन की प्रगति रोकने की कोशिशों पर निराशा जताई है.