UNSC: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध निगरानी रिपोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर बड़ा खुलासा किया है. मंगलवार को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने 22 अप्रैल को हुए इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. इसमें लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का समर्थन भी सामने आया है.
रिपोर्ट के अनुसार, पहलगाम के पर्यटन स्थल पर पांच आतंकवादियों ने हमला किया. टीआरएफ ने इस हमले की जिम्मेदारी भी ली थी. अगले दिन टीआरएफ ने दोबारा जिम्मेदारी का दावा किया, लेकिन 26 अप्रैल को इसे वापस ले लिया. इसके बाद कोई अन्य समूह सामने नहीं आया. रिपोर्ट में एक सदस्य देश ने दावा किया कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा के समर्थन के बिना संभव नहीं था. एक अन्य देश ने टीआरएफ को लश्कर का पर्याय बताया.
रिपोर्ट में कहा गया कि टीआरएफ और लश्कर-ए-तैयबा के बीच गहरे संबंध हैं. एक सदस्य देश ने लश्कर को निष्क्रिय बताया, लेकिन अन्य देशों ने इस दावे को खारिज कर दिया. संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट क्षेत्रीय तनावों पर भी चेतावनी देती है. इसमें कहा गया कि आतंकी समूह इन तनावों का फायदा उठा सकते हैं. इस महीने अमेरिका ने टीआरएफ को विदेशी आतंकवादी संगठन और वैश्विक आतंकवादी घोषित किया. यह कदम टीआरएफ की गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए उठाया गया. 25 अप्रैल को सुरक्षा परिषद के 15 देशों ने हमले की निंदा की और दोषियों को सजा देने की मांग की. हालांकि, पाकिस्तान के दबाव में प्रेस वक्तव्य में टीआरएफ का नाम हटा दिया गया.
पहलगाम हमले के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया. इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचों को निशाना बनाया गया. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में बताया कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के बयान से टीआरएफ का नाम हटवाने की कोशिश की. रिपोर्ट में टीआरएफ का जिक्र पाकिस्तान की आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली भूमिका को उजागर करता है. पाकिस्तान ने लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को छिपाने के लिए टीआरएफ जैसे नामों का इस्तेमाल किया. यह रणनीति अब