Air Defence Weapon System: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने देश की रक्षा क्षमता को और मजबूत किया है. ओडिशा के तट पर शनिवार को एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का पहला उड़ान परीक्षण सफल रहा. यह उपलब्धि भारत की स्वदेशी तकनीक का एक और उदाहरण है.
IADWS एक बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली है. इसमें स्वदेशी त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (QRSAM) शामिल है. इसके अलावा कि उन्नत अति लघु दूरी वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS) मिसाइलें और उच्च शक्ति वाली लेजर-आधारित निर्देशित ऊर्जा हथियार (DEW) भी हैं. यह प्रणाली दुश्मन के हवाई हमलों से महत्वपूर्ण स्थानों की रक्षा करेगी.
ओडिशा के तट पर किया गया यह परीक्षण पूरी तरह सफल रहा. डीआरडीओ ने इस दौरान IADWS की सभी तकनीकों का प्रदर्शन किया. QRSAM ने सटीक निशाना लगाकर अपनी क्षमता साबित की. VSHORADS मिसाइलों ने छोटी दूरी के खतरों को नष्ट करने की ताकत दिखाई. वहीं, लेजर-आधारित DEW ने आधुनिक युद्ध की जरूरतों को पूरा किया. यह प्रणाली हवाई हमलों से तुरंत निपटने में सक्षम है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि पर खुशी जताई. उन्होंने डीआरडीओ, भारतीय सशस्त्र बलों और उद्योग जगत को बधाई दी. एक सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने कहा कि यह उड़ान परीक्षण भारत की वायु रक्षा क्षमता को दर्शाता है. IADWS दुश्मन के हवाई खतरों से महत्वपूर्ण स्थानों की रक्षा को और मजबूत करेगा. उनकी यह टिप्पणी देश के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के प्रति गर्व को दर्शाती है.
Maiden flight Tests of Integrated Air Defence Weapon System (IADWS) was successfully conducted on 23 Aug 2025 at around 1230 Hrs off the coast of Odisha.
— DRDO (@DRDO_India) August 24, 2025
IADWS is a multi-layered air defence system comprising of all indigenous Quick Reaction Surface to Air Missile (QRSAM),… pic.twitter.com/Jp3v1vEtJp
IADWS का सफल परीक्षण आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह प्रणाली पूरी तरह स्वदेशी है. डीआरडीओ ने इसे भारतीय वैज्ञानिकों और उद्योगों के सहयोग से विकसित किया है. यह प्रणाली न केवल रक्षा क्षेत्र में भारत की ताकत बढ़ाएगी, बल्कि विदेशी तकनीक पर निर्भरता भी कम करेगी. IADWS के सफल परीक्षण से भारतीय सेना की ताकत बढ़ेगी. यह प्रणाली युद्ध के बदलते स्वरूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक हवाई हमलों, ड्रोन और मिसाइलों से निपटने में कारगर होगी. साथ ही, यह भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में और मजबूत बनाएगा.