दिल्ली की हवा में मामूली सुधार, लेकिन ‘खराब’ श्रेणी में बना प्रदूषण; खुले में जलाने पर लगा सख्त बैन

दिल्ली में सुबह के समय सबसे खराब AQI रीडिंग द्वारका स्थित NSIT में 324 और बवाना में 319 दर्ज की गई. इसके अलावा जहांगीरपुरी, मुंडका, नेहरू नगर, पूसा, विवेक विहार और वज़ीरपुर जैसे इलाके भी 300 के पार AQI के साथ बहुत खराब श्रेणी में रहे.

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Courtesy: X (@anonymousguy024)

दिल्लीवासियों के लिए बुधवार का दिन थोड़ी राहत लेकर आई. समीर ऐप के मुताबिक, राजधानी का ओवरऑल एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 269 दर्ज किया गया. यह मंगलवार को दर्ज 310 रीडिंग से नीचे आया है, लेकिन अभी भी खराब श्रेणी में है.

दिल्ली में स्मॉग की चादर आज भी छाई रही. शहर के 28 मॉनिटरिंग स्टेशनों ने AQI को खराब श्रेणी में रिकॉर्ड किया, जबकि नौ स्टेशन बहुत खराब श्रेणी में रहे. यह साफ दिखाता है कि हवा में सुधार की शुरुआत तो हुई है, लेकिन स्थिति सामान्य होने में अभी समय लगेगा.

दिल्ली के इन इलाकों में सबसे अधिक प्रदूषण

दिल्ली में सुबह के समय सबसे खराब AQI रीडिंग द्वारका स्थित NSIT में 324 और बवाना में 319 दर्ज की गई. इसके अलावा जहांगीरपुरी, मुंडका, नेहरू नगर, पूसा, विवेक विहार और वज़ीरपुर जैसे इलाके भी 300 के पार AQI के साथ बहुत खराब श्रेणी में रहे. इसके विपरीत, आया नगर, IGI एयरपोर्ट T3 और मंदिर मार्ग जैसे इलाकों में AQI अपेक्षाकृत बेहतर रहा और मॉडरेट से संतोषजनक श्रेणी के आसपास रहा.

प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली सरकार के सख़्त कदम

प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को बड़े फैसले किए. उन्होंने घोषणा की कि राजधानी में खुले में किसी भी तरह का जलाना अब पूरी तरह प्रतिबंधित होगा. इसके अलावा, शहर के होटलों, रेस्टोरेंट्स और खुले खाने की जगहों पर तंदूर में कोयला या लकड़ी के इस्तेमाल पर भी तत्काल प्रभाव से बैन लगा दिया गया है. मुख्यमंत्री ने बताया कि जिला प्रशासन और दिल्ली नगर निगम की टीमें नियम तोड़ने वालों पर ₹5,000 तक का जुर्माना लगा सकेंगी. उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से नागरिकों से अपील की कि वे कचरा या सूखी पत्तियाँ न जलाएँ, क्योंकि छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव ला सकते हैं.

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार, मंगलवार को हवा की गुणवत्ता में हल्का सुधार हुआ और AQI 291 पर आया, जो अभी भी खराब श्रेणी में है. विशेषज्ञों का मानना है कि AQI में कुछ गिरावट जरूर दिखी है, लेकिन लगातार बने प्रदूषण स्तर से सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है. सांस संबंधी बीमारियाँ, आंखों में जलन और गले की खराश जैसे मामले बढ़ने की आशंका बनी हुई है.

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