Delhi Pollution Case: दिल्ली प्रदुषण मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा - पराली जलाने वाले किसानों से अनाज ना ख़रीदे सरकार

Delhi Pollution Case:दिल्ली में दिवाली के पहले से ही प्रदुषण का स्तर काफी ख़राब हो चूका है. सर्दियों के आने के साथ ही आसमान और भी ज्यादा स्याह होने लगा है. ऐसे में प्रदुषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने टिपण्णी की है.

Date Updated
फॉलो करें:

Delhi Pollution Case: दिल्ली- एनसीआर में सर्दियों के आगमन के साथ ही प्रदुषण का स्तर और भी जानलेवा हो गया है. दिल्ली और दिल्ली से सटे इलाकों में प्रदुषण के लिए पंजाब में किसानों द्वारा जलाये गए पराली की अहम भूमिका रहती है. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में  आज यानी 21 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामले पर सुनवाई हुई. न्यायालय ने  सुनवाई के दौरान पंजाब के वकील से पूछा कि खेतों में जलाई जा रही पराली यानी फार्म फायर का क्या हुआ है? सुप्रीम कोर्ट के सवाल के जवाब में वकील ने कहा कि सरकार ने कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि "हमारा सुझाव है कि केंद्र और सभी राज्य मिल कर समयबद्ध काम करें ताकि अगले मौसम में यह स्थिति न बने". इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगले मौसम का इंतजार नहीं होगा. हम इस मामले की निगरानी करेंगे. बता दें, इस मामले पर अब अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा अगर किसान पराली जलाना बंद नहीं करते तो आप उनसे अनाज न खरीदें 

सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली प्रदुषण मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि "अगर कुछ किसान आम लोगों की परवाह किए बगैर पराली जला रहे हैं, तो सरकार सख्ती क्यों नहीं कर रही है". कोर्ट न आगे कहा- आप उन किसानों से अनाज न खरीदें, जो पराली जलाते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जो कानून तोड़ते हैं, उन्हें कोई लाभ क्यों मिले? वही कोर्ट ने इस समाधान के स्थायी न होने की आशंका व्यक्त करते हुए भी कहा कि, "हालांकि ये भी है कि जब दूसरे राज्यों का अनाज एमएसपी के लिए पंजाब में बिक सकता है, तो किसी यहाँ के किसान का अनाज दूसरा किसान क्यों नहीं बेच सकता है? इसलिए शायद इससे समाधान नहीं होगा"


पराली जलाने के लिए सिर्फ एक माचिस की तीली लगती है- सुप्रीम कोर्ट 

शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि, "समस्या यह है कि इस पूरे मामले में  किसानों को खलनायक बनाया जा रहा है, लेकिन हमारे सामने वह नहीं हैं. हम उनसे नहीं पूछ सकते कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं और इसके साथ ही राज्य सरकार भी संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रही है". इसके जवाब में वकील ने कहा कि किसान सिर्फ थोड़े से लाभ के लिए पर्यावरण की चिंता नहीं कर रहे हैं. जिसके बाद अदालत ने कहा कि पराली जलाने के लिए सिर्फ 1 माचिस लगती है. अगर आप मशीन भी दे देंगे तो किसान को डीजल समेत दूसरे खर्च करने पड़ेंगे. क्या सब कुछ मुफ्त किया जा सकता है.


सुप्रीम कोर्ट ने पूछा - किसानों से जुर्माना वसूला गया या नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार की ओर से पेश हुए वकील से पूछा कि आपने दो करोड़ रुपये जुर्माना लगाने की बात कही. जुर्माना सिर्फ लगाया ही गया है या फिर वसूला भी है? सुप्रीम कोर्ट ने आगे इस बारे में कहा कि "अगली सुनवाई में अदालत को जुर्माना वसूली के बारे में बताइए. इसके अलावा हम यह भी जानना चाहते हैं कि जो एफआईआर आपने दर्ज की है. वह खेत के मालिक पर है या फिर अज्ञात लोगों पर?"  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्योंकि एमएसपी न देने से समाधान नहीं होगा, तो क्या पराली जलाने वालों को धान की खेती से रोका जा सकता है? क्योंकि जब धान लगा ही नहीं पाएंगे तो पराली जलाना भी बंद कर देंगे.

 

 केंद्र सरकार पूरी तरह मुफ्त करने का काम सिर्फ 1 राज्य के लिए क्यों करेगी- सुप्रीम कोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि बिहार में लोग फसल अपने हाथों से काटते हैं, तो इसलिए वहां पराली की समस्या नहीं होती है. इसके अलावा पंजाब में भी कई छोटे किसान फसल अवशेष जलाने की बजाय अब बेच रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि बड़े किसानों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है. उन्हें भी फायदा मिलेगा. इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार की जिम्मेदारी को चिन्हित करते हुए कहा कि सरकार के द्वारा किसानों को जरूरी मशीन उपलब्ध करवाना चाहिए. पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार मशीनों के लिए सहायता देती है. लेकिन केंद्र सरकार पूरी तरह मुफ्त करने का काम सिर्फ 1 राज्य के लिए क्यों करेगी. एमिकस क्यूरी- केंद्र 80% सहायता देता है. इसके बाद हरियाणा और यूपी में सफलतापूर्वक मशीनें काम कर रही हैं. पंजाब को भी इससे सीखना चाहिए. अगर सब कुछ (डीजल, मैनपावर) मुफ्त करने की जरूरत है, तो पंजाब सरकार इस पर विचार कर जवाब दे.