बजट में गरीब कैदियों की मदद के लिए पांच करोड़ रुपये आवंटित

नई दिल्ली:  केंद्र ने 2025-26 के बजट में जेलों में बंद ऐसे कैदियों की वित्तीय मदद के लिए पांच करोड़ रुपए निर्धारित किए हैं, क्योंकि वे अपनी जमानत राशि का भुगतान नहीं कर सकते.

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Courtesy: Social Media

नई दिल्ली:  केंद्र ने 2025-26 के बजट में जेलों में बंद ऐसे कैदियों की वित्तीय मदद के लिए पांच करोड़ रुपए निर्धारित किए हैं, क्योंकि वे अपनी जमानत राशि का भुगतान नहीं कर सकते.

कानूनी सहायता के लिए कदम

‘मॉडल जेल और सुधारात्मक सेवा अधिनियम’ 2023 के तहत, राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरणों ने जरूरतमंद व्यक्तियों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए जेलों में कानूनी सेवा क्लीनिक स्थापित किए हैं. कानूनी सेवा क्लीनिकों का प्रबंधन पैनल में शामिल कानूनी सेवा अधिवक्ताओं और प्रशिक्षित पैरा-लीगल स्वयंसेवकों द्वारा किया जाता है.

पिछले बजट से तुलना

शनिवार को संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट दस्तावेजों से पता चलता है कि जुर्माना या जमानत राशि का भुगतान करने में असमर्थ कैदियों की मदद के लिए 5 करोड़ रुपए आरक्षित किए गए हैं. एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र ने पिछले बजट में इस संदर्भ में 20 करोड़ रुपए आवंटित किए थे, लेकिन केवल एक करोड़ रुपए का ही उपयोग किया जा सका, क्योंकि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने योजना के तहत मंजूरी के लिए मामले पेश नहीं किए.

गृह मंत्रालय ने पिछले साल कहा था कि प्रत्येक राज्य को केंद्र सरकार से राज्य मुख्यालयों तक धन के निर्बाध प्रवाह के लिए एक विशिष्ट खाता खोलना चाहिए, ताकि इसे जरूरतमंदों तक पहुंचाया जा सके.

पिछले साल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे गए आधिकारिक संदेश में कहा गया था, ‘‘गृह मंत्रालय ने सालाना 20 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया है, जिसका उपयोग राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जेल से रिहाई के लिए गरीब कैदियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कर सकते हैं.’’

(इस खबर को भारतवर्ष न्यूज की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)

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