जेल से नहीं कर पाएंगे जनता पर राज, सीएम से लेकर पीएम पर तक गिरेगी गाज! लोकसभा पेश किया जाएगा ये नया प्रस्ताव

लोकसभा में आज सरकार द्वारा खास विधेयक पेश किया जाना है, जो देश की व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है. इसके मुताबिक यदि कोई मंत्री 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर उसे पद से हटा देंगे. अगर सलाह नहीं दी जाती, तो 31वें दिन मंत्री का पद स्वतः समाप्त हो जाएगा.

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Courtesy: Social Media

Bill in Loksabha: लोकसभा में आज सरकार एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने जा रही है. यह विधेयक गंभीर आपराधिक आरोपों में हिरासत में लिए गए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने का कानूनी ढांचा तैयार करेगा. इस कदम से संवैधानिक नैतिकता और जनता का विश्वास बनाए रखने का लक्ष्य है.

प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, यदि कोई मंत्री पांच साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराध में 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो उसे पद से हटा दिया जाएगा. यह नियम प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों पर भी लागू होगा. विधेयक जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन का भी प्रस्ताव करता है.

30 दिन के हिरासत के बाद पद खत्म!

प्रस्ताव के मुताबिक यदि कोई मंत्री 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर उसे पद से हटा देंगे. अगर सलाह नहीं दी जाती, तो 31वें दिन मंत्री का पद स्वतः समाप्त हो जाएगा. इसी तरह, यदि प्रधानमंत्री स्वयं 30 दिनों तक हिरासत में रहते हैं, तो उन्हें 31वें दिन तक इस्तीफा देना होगा. ऐसा न करने पर उनका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा. राज्यों में भी यही नियम लागू होगा. 30 दिनों तक जेल में रहने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री और राज्यपाल के विचार-विमर्थ के बाद हटा दिया जाएगा. यदि सलाह नहीं दी जाती, तो 31वें दिन पद स्वतः समाप्त हो जाएगा. मुख्यमंत्री के लिए भी यही प्रक्रिया होगी.

क्या कहता है ये नया विधेयक 

विधेयक में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में नया खंड (4A) जोड़ा जाएगा. इसके तहत, यदि कोई मंत्री 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो उपराज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर उसे हटा देंगे. यदि सलाह नहीं दी जाती, तो 31वें दिन पद स्वतः समाप्त हो जाएगा. सरकार का कहना है कि यह विधेयक संवैधानिक नैतिकता को बनाए रखने के लिए जरूरी है. निर्वाचित नेता जनता की आशाओं का प्रतीक होते हैं. लेकिन वर्तमान में संविधान में गंभीर आपराधिक आरोपों में हिरासत में लिए गए मंत्रियों को हटाने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है.

विधेयक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मंत्रियों का आचरण संदेह से परे हो. सरकारी वक्तव्य में कहा गया कि गंभीर आपराधिक आरोपों में हिरासत में लिए गए मंत्रियों से सुशासन और संवैधानिक नैतिकता प्रभावित हो सकती है. जनता का भरोसा भी कम हो सकता है. यह विधेयक जनता के विश्वास को बनाए रखने और शासन में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक कदम है.

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