लुटेरी दुल्हन के आरोपों पर कानपुर कोर्ट का बड़ा फैसला, सबूतों के अभाव में रिमांड खारिज, पुलिस दोबारा करेगी जांच

कानपुर के बहुचर्चित लुटेरी दुल्हन प्रकरण में अदालत ने बड़ा निर्णय सुनाते हुए आरोपी महिला दिव्यांशी चौधरी की 14 दिन की न्यायिक रिमांड को खारिज कर दिया.

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Kanpur Court: कानपुर के बहुचर्चित लुटेरी दुल्हन प्रकरण में अदालत ने बड़ा निर्णय सुनाते हुए आरोपी महिला दिव्यांशी चौधरी की 14 दिन की न्यायिक रिमांड को खारिज कर दिया. कोर्ट ने साफ कहा कि पुलिस रिमांड के समर्थन में कोई ठोस, विश्वसनीय और कानूनी रूप से पर्याप्त सबूत प्रस्तुत नहीं कर सकी, इसलिए रिमांड देना उचित नहीं है. कोर्ट ने मामले की गंभीरता देखते हुए विवेचक और संबंधित अधिकारियों को तत्काल अदालत में उपस्थित होने का निर्देश भी जारी किया है.

पुलिस के दावों पर अदालत सख्त

ग्वालटोली थाना पुलिस ने बीते मंगलवार दिव्यांशी को उसके पति व दरोगा आदित्य की शिकायत पर धोखाधड़ी, रंगदारी समेत 12 गंभीर धाराओं में गिरफ्तार किया था. पुलिस ने आरोप लगाया कि दिव्यांशी कथित रूप से चार शादियां कर चुकी लुटेरी दुल्हन है और कई पुरुषों को ठग चुकी है.

हालांकि जब पुलिस ने उसे एसीजेएम कोर्ट में रिमांड के लिए पेश किया, तो अदालत ने पाया कि गिरफ्तार करने के आधार (Arrest of Grounds), सीआरपीसी 41 का नोटिस और अन्य अनिवार्य प्रक्रिया संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए थे. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइनों का पालन न होने पर अदालत ने रिमांड आवेदन को खारिज कर दिया.

पुलिस करेगी अपील

सेंट्रल डीसीपी श्रवण कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें रिमांड खारिज होने की सूचना मिल गई है और पुलिस इस आदेश के खिलाफ जिला जज की अदालत में अपील दायर करेगी. उन्होंने कहा कि मामले की आगे की कानूनी रणनीति तैयार की जा रही है.

बचाव पक्ष ने पेश किए महत्वपूर्ण तर्क

रिमांड सुनवाई के दौरान दिव्यांशी के वकील योगेश ने कोर्ट में कई अहम दलीलें रखीं. उन्होंने कहा कि पुलिस जिन धाराओं में रिमांड चाहती थी, उन सभी के समर्थन में उचित आधार मौजूद नहीं थे. कोर्ट ने भी इन तर्कों को स्वीकार किया. सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि बचाव पक्ष ने कोर्ट में एक तस्वीर प्रस्तुत की, जिसमें विवेचक शुभम सिंह और आरोपी के पति आदित्य हाथ में हाथ डाले खड़े दिखे. बचाव पक्ष ने इसे मित्रता का सबूत बताते हुए कहा कि ऐसे में निष्पक्ष जांच संभव नहीं है. अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए पुलिस की जांच प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि रिमांड देने के लिए आवश्यक 7/14 आधार पुलिस उपलब्ध नहीं करा सकी. केवल आरोपों और अनुमानों के आधार पर रिमांड नहीं दी जा सकती.

दिव्यांशी ने पति पर लगाए गंभीर आरोप

कोर्ट से राहत मिलने के बाद दिव्यांशी ने खुलकर कहा, “मेरा पति लुटेरा दूल्हा है, न कि मैं लुटेरी दुल्हन. मेरे पैसों से उसने घर बनवाया. हमारी अरेंज मैरिज हुई थी.” उन्होंने आरोप लगाया कि दरोगा होने के कारण आदित्य लोगों को फंसाने में माहिर है और विभागीय संबंधों का इस्तेमाल कर उनके खिलाफ साजिश रच रहा है. मैं अच्छे परिवार से हूं, मेरे भाई बैंक मैनेजर हैं.” अब पुलिस दोबारा जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगे मामला किस दिशा में बढ़ता है.

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