नोएडा के निठारी गांव में 2005 और 2006 के बीच हुई सिलसिलेवार हत्याओं ने पूरे देश को हिला दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला इन हत्याओं से जुड़े आखिरी मामले में आरोपी सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया गया है. इस फैसले के बाद मारे गए बच्चों के परिवारों में गुस्सा और दुख की लहर है. वे सवाल उठा रहे हैं कि अगर कोली और पहले बरी हो चुके मोनिंदर सिंह पंढेर निर्दोष हैं तो हत्यारा कौन है. परिवारों का मानना है कि न्याय व्यवस्था उन्हें धोखा दे रही है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंगलवार को परिवारों ने अपनी पीड़ा जाहिर की. एक बच्चे के पिता ने कहा कि हमें बहुत दुख हुआ जब पंढेर (मोनिंदर सिंह पंढेर) को बरी कर दिया गया. पंढेर ने पुलिस के सामने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था. अगर कोली (सुरेंद्र कोली) इसके लिए जिम्मेदार नहीं है और अगर पंढेर इसके लिए जिम्मेदार नहीं है. तो उन्हें इतने सालों तक जेल में क्यों रखा गया. ऐसे में उसे जेल में डालने वालों को फांसी होनी चाहिए. अगर वे अपराधी नहीं हैं. तो कौन है?
सुप्रीम कोर्ट ने कोली को उस एकमात्र मामले में बरी किया जिसमें उसकी उम्रकैद की सजा बाकी थी. कोर्ट ने कहा कि 2011 का फैसला अब बरकरार नहीं रखा जा सकता. क्योंकि कोली को पहले ही इसी तरह के तथ्यों और सबूतों पर 12 अन्य मामलों में बरी किया जा चुका है. मुख्य न्यायाधीश भूषण आर गवई. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने फैसला सुनाया. पीठ का कहना था कि एक मामले में सजा रखना जबकि बाकी सभी में बरी करना असंगत और अन्यायपूर्ण होगा. न्यायमूर्ति नाथ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है, तो उसे तुरंत रिहा किया जाए. जेल अधीक्षक को इस फैसले से तुरंत अवगत कराया जाए.
कोर्ट ने 7 अक्टूबर को कोली की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था. तब कोर्ट ने संकेत दिया था कि ऐसा परिणाम न्याय का उपहास होगा. कोली की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता युग मोहित चौधरी और अधिवक्ता पयोशी रॉय ने पैरवी की. यह मामला सेक्टर 31 में मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पास मिले बच्चों के अवशेषों से शुरू हुआ था. कोली, पंढेर का नौकर था और इन पर दोनों पर हत्या बलात्कार और अंग तस्करी के आरोप लगे थे. शुरुआती जांच में पुलिस ने कई सबूत जुटाए लेकिन बाद में कोर्ट ने सबूतों को कमजोर माना. पंढेर को पहले बरी किया गया. अब कोली भी सभी मामलों में मुक्त हो गया है. परिवारों का कहना है कि पंढेर ने पुलिस के सामने कबूल किया था लेकिन कोर्ट ने उसे नजरअंदाज किया. वे चाहते हैं कि असली अपराधी सामने आए. इस फैसले से निठारी कांड फिर चर्चा में आ गया है. परिवार न्याय की नई लड़ाई लड़ने को तैयार हैं. वे कहते हैं कि सालों की जेल के बाद अगर आरोपी निर्दोष हैं तो जांच करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए.