नूंह में चल रही थी लाल किला ब्लास्ट की प्लानिंग, चार महिनों से खरीदे जा रहे थे विस्फोटक

दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट में इस्तेमाल विस्फोटकों की जांच में हरियाणा के नूंह और फरीदाबाद से खरीद नेटवर्क का पता चला. डॉक्टर उमर और उनके साथी ने उर्वरक और अमोनियम नाइट्रेट धीरे धीरे इकट्ठा किया. पुलिस ने कई विक्रेताओं को पकड़ा और खनन इलाकों की तलाशी ली.

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Courtesy: X (@officeofssbadal)

दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार को हुए विस्फोट की जांच अब हरियाणा के इलाकों तक पहुंच गई है. जांचकर्ता विस्फोटकों की उत्पत्ति का पता लगा रहे हैं. उन्होंने नूंह जिले के बसई मेव गांव और फरीदाबाद गुरुग्राम सहारनपुर के आसपास खरीद नेटवर्क का पता लगाया है. अधिकारियों ने बताया कि डॉ उमर उन नबी और फरीदाबाद मॉड्यूल के सहयोगी पिछले महीनों में उर्वरक और अमोनियम नाइट्रेट खरीदते रहे हैं. यह श्रृंखला जटिल तरीके से चल रही थी.

जांच से जुड़े लोगों ने बताया कि उमर और एक अन्य संदिग्ध नूंह में उर्वरक दुकानों पर गए. उन्होंने खुद को फार्महाउस मालिक बताया. पिछले तीन चार महीनों में उन्होंने कम मात्रा में एनपीके उर्वरक खरीदना शुरू किया. वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि मॉड्यूल ने कुल 26 क्विंटल से ज्यादा एनपीके उर्वरक और 1000 किलोग्राम से ज्यादा अमोनियम नाइट्रेट खरीदा. इसके लिए 20 लाख रुपये जुटाए गए. यह सामग्री कई बम बनाने के लिए काफी है.

कैसे खरीदे गए उर्वरक?

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह नेटवर्क बड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट और एनपीके खरीदने के तरीकों पर सक्रिय रूप से चर्चा कर रहा था. अधिकारी ने कहा कि उन्होंने 20 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए जिसमें हर सदस्य ने योगदान दिया. समूह ने अपने संचालकों जिनमें से एक का कोडनेम उकाशा था की मदद से श्रीनगर से राइफलें और कारतूस भी खरीदे. जांचकर्ताओं ने फरीदाबाद में कम से कम तीन उर्वरक विक्रेताओं की पहचान की. इनमें से एक पिनांगवान निवासी ने पुलिस को बताया कि संदिग्ध खुद को जमींदार बताते थे. वे खेतों के लिए उर्वरक चाहते थे. भुगतान डिजिटल तरीके से हुए. पुलिस अब इसे बड़ा सुराग मान रही है. पूछताछ और लोकेशन डेटा से पता चला कि नूंह विस्फोटक सामग्री का मुख्य स्रोत था. 

स्थानिय लोगों से पूछताछ जारी 

आरोपी डॉ मुजम्मिल शकील गनई पिछले हफ्ते गिरफ्तार हुए अल फलाह डॉक्टरों में से एक हैं. वे कई बार दुकानों पर गए और बाद में उमर को ले आए. एक जांचकर्ता ने कहा कि उन्होंने एक साथ सब कुछ नहीं खरीदा. उन्होंने इसे तीन या चार महीनों में धीरे धीरे इकट्ठा किया. दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल हरियाणा पुलिस और एनआईए की टीम जांच कर रही है. डॉ उमर और डॉ मुजम्मिल अल फलाह विश्वविद्यालय से जुड़े थे.

वे ग्रामीण फरीदाबाद में स्थानीय संपर्कों पर निर्भर थे. विक्रेताओं का पता लगाने और रसायनों के परिवहन के लिए यही इस्तेमाल हुआ. फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी की टीमें आरोपी डॉक्टरों से जुड़े वाहनों और घरों की जांच कर रही हैं. कई जगहों पर विस्फोटकों के निशान तलाशे जा रहे हैं. पुलिस कई संदिग्धों की कारों की जांच कर रही है. यह पता लगाना है कि राज्य सीमाओं के पार विस्फोटक ले जाने में इस्तेमाल हुई या नहीं.

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