गुवाहाटी: निर्वाचन आयुक्तों के चयन में प्रधान न्यायाधीश को शामिल करते हुए एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने के कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आह्वान को ‘विडंबनापूर्ण’ करार देते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार को आरोप लगाया कि देश की इस सबसे पुरानी पार्टी ने सत्ता में रहने के दौरान ऐसी कोई पारदर्शिता नहीं बरती.
राहुल गांधी ने हाल ही में निर्वाचन आयुक्तों के चयन में प्रधान न्यायाधीश को शामिल करने की बात करते हुए पारदर्शिता की आवश्यकता जताई थी. उनका यह आह्वान निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए था. हालांकि, हिमंत विश्व शर्मा ने इस पर कड़ा जवाब देते हुए कहा कि यह बयान पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित और विडंबनापूर्ण है, क्योंकि कांग्रेस ने खुद कभी भी अपने शासन में पारदर्शिता को बढ़ावा नहीं दिया.
हिमंत शर्मा ने कहा, "राहुल गांधी का यह बयान उस समय आया है जब उनकी पार्टी, कांग्रेस, ने सत्ता में रहते हुए कभी भी पारदर्शिता के सिद्धांतों का पालन नहीं किया. अगर कांग्रेस ने पारदर्शिता का पालन किया होता, तो आज देश में ऐसे हालात नहीं होते." उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राहुल गांधी की पार्टी को पहले अपनी पुरानी राजनीति का पुनः मूल्यांकन करना चाहिए और फिर दूसरों से पारदर्शिता की उम्मीद करनी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस की यह आदत रही है कि वह किसी मुद्दे पर बयानबाजी करने से पहले अपने पार्टी के अंदर की स्थिति पर ध्यान नहीं देती. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं की ओर से उठाए गए ऐसे मुद्दे केवल राजनीति के तहत होते हैं, जो जनता की वास्तविक समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए किए जाते हैं.
(इस खबर को भारतवर्ष न्यूज की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)