कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी कानूनी विवाद में घिरती नजर आ रही हैं. राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज कराने की मांग वाली पिटीशन पर सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने दोनों से इस मामले में जवाब मांगा है.
यह नोटिस एक रिवीजन पिटीशन पर जारी हुआ है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सोनिया गांधी का नाम भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से पहले ही वोटर लिस्ट में जोड़ दिया गया था.
दिल्ली के वकील विकास त्रिपाठी ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें सितंबर 2025 में सोनिया गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करने से मना कर दिया गया था. पिटीशन में मांग की गई है कि इस मामले में जांच हो और पता लगाया जाए कि नागरिकता मिलने से तीन साल पहले 1980 में उनका नाम वोटर लिस्ट में कैसे शामिल कर लिया गया. कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया और अब अगली तारीख 6 जनवरी 2026 तय की है.
रिवीजन पिटीशन में दावा किया गया है कि सोनिया गांधी का नाम 1980 की वोटर सूची में था, जबकि उन्हें भारतीय नागरिकता 30 अप्रैल 1983 को मिली. पिटीशन में पूछा गया कि यदि वह 1983 से पहले भारतीय नागरिक नहीं थीं, तो 1980 में उनका नाम वोटर लिस्ट में कैसे जोड़ा गया? इसके साथ यह भी पूछा गया कि 1980 में उनका नाम जोड़ने के लिए कौन से दस्तावेज़ जमा किए गए थे? साथ ही यह भी पूछा गया कि क्या वोटर लिस्ट में शामिल करने के लिए गलत या फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल हुआ था?
पिटीशन में यह भी कहा गया है कि 1982 में उनका नाम वोटर सूची से हटा दिया गया, जिससे पूरा मामला और संदिग्ध हो जाता है. इससे पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सितंबर 2025 में यह कहते हुए पिटीशन खारिज कर दी थी कि FIR दर्ज करने के पर्याप्त आधार नहीं हैं. इसी निर्णय को चुनौती देते हुए राउज़ एवेन्यू कोर्ट में रिवीजन पिटीशन दायर की गई है. अब कोर्ट ने मामले में दोनों पक्षों से जवाब मांग लिया है, जिससे यह विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है.