पहलगाम आतंकी हमले पर बोले मोहन भागवत, पड़ोसी मुल्कों पर जताई चिंता

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने 100वें स्थापना दिवस और विजयादशमी उत्सव को नागपुर के रेशमबाग मैदान में धूमधाम से मनाया. इस ऐतिहासिक अवसर पर सरसंघचालक मोहन भागवत ने राष्ट्रवाद, पर्यावरण, आत्मनिर्भरता और वैश्विक कूटनीति जैसे मुद्दों पर अपने विचार रखे.

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Courtesy: X (@RSSorg)

RSS: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने 100वें स्थापना दिवस और विजयादशमी उत्सव को नागपुर के रेशमबाग मैदान में धूमधाम से मनाया. इस ऐतिहासिक अवसर पर सरसंघचालक मोहन भागवत ने राष्ट्रवाद, पर्यावरण, आत्मनिर्भरता और वैश्विक कूटनीति जैसे मुद्दों पर अपने विचार रखे. समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

मोहन भागवत ने सीमा पार आतंकवाद की कड़ी निंदा की. उन्होंने 26 भारतीयों की हत्या के एक आतंकी हमले को याद करते हुए कहा कि देश ने एकता और साहस के साथ इसका जवाब दिया. भागवत ने आंतरिक असंवैधानिक तत्वों के खिलाफ सतर्क रहने की चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि भारत के सच्चे मित्र इस संकट में सामने आए, जो वैश्विक सहयोग का प्रतीक है.

राष्ट्र के लिए चेतावनी की घंटी

भागवत ने हिमालय में बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं, जैसे भूस्खलन और भारी बारिश, पर चिंता जताई. उन्होंने हिमालय को दक्षिण एशिया की सुरक्षा दीवार और जल स्रोत बताया. उन्होंने कहा कि गलत विकास मॉडल आपदाओं को बढ़ावा दे रहे हैं. नीतियों में बदलाव की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने इसे राष्ट्र के लिए चेतावनी की घंटी करार दिया. वैश्विक व्यापार पर बोलते हुए भागवत ने कहा कि कोई देश अलग-थलग नहीं रह सकता, लेकिन निर्भरता मजबूरी नहीं बननी चाहिए. उन्होंने स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की बात कही. साथ ही, मित्र देशों के साथ संतुलित राजनयिक संबंधों पर जोर दिया. भागवत ने कहा कि अमेरिका की टैरिफ नीतियों से वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है, इसलिए भारत को अपनी नीतियों को मजबूत करना होगा.

रेशमबाग मैदान में समारोह

भागवत ने हिंदू राष्ट्रवाद को परिभाषित करते हुए कहा कि यह विविधता और संस्कृति का सम्मान है, जो सभी को एक सूत्र में बांधता है. उन्होंने कहा कि हिंदवी, भारतीय और आर्य, ये सभी हिंदू के पर्यायवाची हैं. हमारी संस्कृति ही हमारा राष्ट्र है."उन्होंने हिंदू समाज को एकजुट और जिम्मेदार बताते हुए हम और वे की मानसिकता से मुक्त रहने की बात कही. नागपुर के रेशमबाग मैदान में आयोजित समारोह में मोहन भागवत ने पारंपरिक 'शस्त्र पूजा' की. पिनाका मिसाइल और ड्रोन जैसे स्वदेशी हथियारों की प्रतिकृतियां प्रदर्शित की गईं. योग, मार्शल आर्ट और दंड प्रदर्शन ने समारोह को और आकर्षक बनाया. लगभग 21,000 स्वयंसेवकों की मौजूदगी ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएसएस की राष्ट्र निर्माण में भूमिका की तारीफ की. उन्होंने कहा कि संघ नदियों की तरह अनगिनत जीवन को समृद्ध कर रहा है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे "राष्ट्र भक्ति का स्वर्णिम अध्याय" बताया. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि आरएसएस में कोई जातिगत भेदभाव नहीं है और यह समाज को एकजुट करता है.
 

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