Stray Dogs Case: सुप्रीम कोर्ट आज यानी 22 अगस्त को दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने के अपने 11 अगस्त के निर्देश पर रोक की याचिका पर फैसला सुनाएगा. यह मामला राष्ट्रीय राजधानी में कुत्तों के काटने और रेबीज के बढ़ते मामलों के बाद चर्चा में है.
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने 11 अगस्त को दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को आवारा कुत्तों को जल्द से जल्द हटाकर आश्रय स्थलों में भेजने का आदेश दिया था. यह निर्देश एक मीडिया रिपोर्ट के बाद आया, जिसमें बच्चों में रेबीज के मामलों का जिक्र था. कोर्ट ने शुरुआत में 5,000 कुत्तों के लिए आश्रय सुविधाएं बनाने और आठ सप्ताह में अनुपालन रिपोर्ट देने को कहा था. कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि इस प्रक्रिया में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
11 अगस्त के आदेश के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया. मामला 14 अगस्त को तीन सदस्यीय विशेष पीठ के सामने आया, जिसमें न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन वी अंजारिया शामिल थे. पीठ ने 11 अगस्त के कुछ निर्देशों पर रोक की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा. विशेष पीठ ने कहा कि आवारा कुत्तों की समस्या स्थानीय अधिकारियों की निष्क्रियता का नतीजा है. पशु जन्म नियंत्रण नियमों, जैसे नसबंदी और टीकाकरण, को ठीक से लागू नहीं किया गया.
दिल्ली सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि 2024 में भारत में कुत्तों के काटने के 37.15 लाख मामले दर्ज हुए. यानी हर दिन औसतन 10,000 मामले. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले साल कुत्तों के काटने से 305 मौतों की पुष्टि की. ये आंकड़े इस समस्या की गंभीरता को दर्शाते हैं. पशु अधिकार संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट से 11 अगस्त के निर्देशों पर रोक लगाने की मांग की है. उनका कहना है कि आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाना उनकी देखभाल और सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है. कई संगठन कोर्ट के आदेश का विरोध कर रहे हैं और आवारा कुत्तों के लिए बेहतर समाधान की मांग कर रहे हैं. यह आदेश न केवल दिल्ली-एनसीआर, बल्कि पूरे देश में आवारा कुत्तों की स्थिति पर असर डालेगा. पशु अधिकार कार्यकर्ता और स्थानीय अधिकारी कोर्ट के फैसले पर नजर रखे हुए हैं.