बिहार मतदाता सूची से तेजस्वी यादव का नाम गायब! चुनाव आयोग ने दी सफाई

तेजस्वी यादव ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि उनका नाम मसौदा मतदाता सूची में नहीं है. उन्होंने अपने फोन को बड़ी स्क्रीन से जोड़कर मतदाता सूची में अपना ईपीआईसी नंबर (RAB2916120) खोजने की कोशिश की, लेकिन परिणाम में 'कोई रिकॉर्ड नहीं मिला' दिखा.

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Courtesy: Social Media

Bihar SIR: पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के तहत भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा जारी मसौदा मतदाता सूची में उनका नाम शामिल नहीं है. इस दावे ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है. हालांकि, चुनाव आयोग ने तेजस्वी के दावों को खारिज करते हुए स्थिति स्पष्ट की है.

तेजस्वी यादव ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि उनका नाम मसौदा मतदाता सूची में नहीं है. उन्होंने अपने फोन को बड़ी स्क्रीन से जोड़कर मतदाता सूची में अपना ईपीआईसी नंबर (RAB2916120) खोजने की कोशिश की, लेकिन परिणाम में 'कोई रिकॉर्ड नहीं मिला' दिखा. तेजस्वी ने गंभीर लहजे में कहा कि मैं मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हूं. इससे मैं चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाऊंगा. शायद मुझे नागरिक भी नहीं माना जाएगा. उन्होंने बताया कि उन्होंने मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए विधिवत फॉर्म भरा और तस्वीर भी खींची थी.

चुनाव आयोग का जवाब

चुनाव आयोग ने तेजस्वी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनका नाम मसौदा मतदाता सूची में मौजूद है. आयोग के सूत्रों ने बताया कि तेजस्वी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में अपने नामांकन पत्र में ईपीआईसी नंबर RAB0456228 का इस्तेमाल किया था. यह नंबर 2015 की मतदाता सूची में भी दर्ज था और 1 अगस्त को जारी मसौदा सूची में भी शामिल है. आयोग ने यह भी बताया कि तेजस्वी द्वारा दावा किया गया दूसरा ईपीआईसी नंबर (RAB2916120) अस्तित्वहीन है. सूत्रों ने कहा कि दस साल पुराने रिकॉर्ड की जांच की गई, लेकिन इस नंबर का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला. संभव है कि यह नंबर कभी आधिकारिक रूप से जारी ही न हुआ हो. आयोग ने इस मामले की जाँच शुरू कर दी है और यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या यह नंबर जाली है.

65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए

चुनाव आयोग ने शुक्रवार को मसौदा मतदाता सूची जारी की, जिसमें 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं. आयोग के अनुसार सबसे अधिक मतदाता पटना में हैं, जहां 46,51,694 लोग पंजीकृत हैं. इसके बाद पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर और मधुबनी का नंबर आता है. सबसे कम मतदाता शिवहर में हैं, जहां केवल 2,95,929 लोग पंजीकृत हैं. तेजस्वी के इस दावे ने बिहार की सियासत को गरमा दिया है. राजद समर्थकों का कहना है कि यह एक साजिश हो सकती है, जबकि विपक्षी दल इसे तकनीकी गलती बता रहे हैं. चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि वह इस मामले की पूरी जांच करेगा और पारदर्शिता बनाए रखेगा. बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले यह विवाद मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहा है. तेजस्वी ने कहा, 'मैं इस मामले को छोड़ूंगा नहीं. जनता का अधिकार सुरक्षित रहना चाहिए.' आगामी दिनों में इस मुद्दे पर और चर्चा होने की संभावना है.

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