उत्तराखंड में प्रकृति ने मचाई तबाही, बादल फटने और लैंडस्लाइंड से बदला देवभूमि का नजारा

खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने से पानी, कीचड़ और मलबे की तेज लहर धराली गांव में बह आई. इस आपदा ने गांव का आधा हिस्सा तबाह कर दिया.

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Courtesy: Social Media

Uttarkashi Cloudburst: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार को बादल फटा, जिसकी वजह से भारी तबाही मची. धराली गांव में आई इस आपदा में चार लोगों की मौत हो गई, वहीं नौ सैन्यकर्मी लापता हैं. इतना ही नहीं अभी कई लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है. भारी बारिश के कारण राज्य में स्थिति गंभीर बनी हुई है.

खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने से पानी, कीचड़ और मलबे की तेज लहर धराली गांव में बह आई. इस आपदा ने गांव का आधा हिस्सा तबाह कर दिया. होटल और होमस्टे से भरे इस पर्यटन स्थल में पानी की तेज धाराएं बहती दिखीं. अधिकारियों के अनुसार, मलबे की एक और लहर सुक्की गांव की ओर बढ़ रही है. 

लैंडस्लाइड के कारण राज्य की सड़कें बंद

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने बचाव कार्य तेज कर दिए हैं. 35 बचावकर्मियों की तीन टीमें घटनास्थल पर तैनात हैं. दो और टीमें देहरादून से हवाई मार्ग से भेजी जा रही हैं. एनडीआरएफ ने पहली बार शवों की खोज के लिए विशेष कुत्तों की टीम को दिल्ली से लाने का फैसला किया है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आंध्र प्रदेश का दौरा रद्द कर देहरादून में आपातकालीन बैठक की. उन्होंने कहा कि हम सभी को बचाने की पूरी कोशिश कर रहे है. बता दें कि बाढ़ के अलावा भूस्खलन के कारण राज्य में 163 सड़कें बंद हो गई हैं. इनमें पांच राष्ट्रीय राजमार्ग, सात राज्य राजमार्ग और दो सीमावर्ती सड़कें शामिल हैं. इससे बचावकर्मियों को प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचने में मुश्किल हो रही है. उत्तरकाशी, देहरादून से लगभग 140 किमी दूर है और खराब मौसम ने स्थिति को और जटिल बना दिया है.

खतरे के निशान के करीब नदियां 

बारिश के कारण उत्तराखंड की नदियां खतरे के निशान के करीब हैं. रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी उफान पर है, जिसके चलते केदारनाथ यात्रा अस्थायी रूप से रोक दी गई है. बागेश्वर में गोमती और सरयू नदियां भी खतरनाक स्तर पर बह रही हैं. कोटद्वार और अन्य पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश की खबरें हैं. खराब मौसम की चेतावनी के कारण देहरादून, नैनीताल, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग, चंपावत, पौड़ी, अल्मोड़ा और बागेश्वर में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं. उत्तराखंड में भारी बारिश और भूस्खलन ने एक बार फिर पर्यावरण की नाजुकता को उजागर किया है. विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी आपदाएं बढ़ रही हैं. सरकार और प्रशासन के सामने राहत कार्यों के साथ-साथ भविष्य की रोकथाम के लिए योजना बनाने की चुनौती है.

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