बैकुंठ चतुर्दशी के दिन एकसाथ पूजे जाते हैं भगवान शिव और विष्णु, जानें इसके पीछे की कहानी

हिंदू धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी का एक विशेष महत्व है. ऐसा इसलिए क्योंकि केवल इस दिन ही भगवान विष्णु और भगवान शिव की एक साथ पूजा की जाती है. यह साल का एकमात्र दिन होता है जब दोनों देवताओं की पूजा का संयोग होता है,

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Courtesy: Social Media

Vaikunth Chaturdashi: हिंदू धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी का विशेष स्थान है जो हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है. इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है, जो इस दिन के महत्व को और बढ़ाता है. माना जाता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने और व्रत कथा का पाठ करने से व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और उसके जीवन के सभी दुख समाप्त हो जाते हैं.

बैकुंठ चतुर्दशी का एक विशेष पहलू यह है कि इस दिन केवल भगवान विष्णु और भगवान शिव की एक साथ पूजा की जाती है. यह साल का एकमात्र दिन होता है जब दोनों देवताओं की पूजा का संयोग होता है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है. 

क्यों मनाई जाती है बैकुंठ चतुर्दशी

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार एक बार भगवान विष्णु काशी पहुंचे और वहां गंगा में स्नान करने के बाद उन्होंने भगवान शिव को एक हजार स्वर्ण कमल पुष्प चढ़ाने का संकल्प लिया. पूजा के दौरान भगवान विष्णु को पुष्पों की संख्या कम लगी, तब भगवान शिव ने अपनी भक्ति की परीक्षा लेने के लिए एक पुष्प को छिपा दिया. जब विष्णु जी को यह फूल नहीं मिला तो उन्होंने अपनी एक आंख चढ़ाने का निश्चय किया क्योंकि उनका कमल नेत्र प्रसिद्ध था. लेकिन भगवान शिव ने उनका यह कृत्य रोक लिया और भगवान विष्णु के प्रति अपनी विशेष कृपा जताई. भगवान शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान करते हुए कहा कि जो भक्त इस दिन उनकी पूजा करेगा वह बैकुंठ धाम को प्राप्त करेगा. तभी से बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा की परंपरा शुरू हुई.

ऐसे खुलेगा बैकुंठ धाम का रास्ता

बैकुंठ चतुर्दशी से जुड़ी दूसरी कथा भी काफी प्रसिद्ध है. जिसमें कहा जाता है कि एक बार नारद जी भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उन्होंने भगवान से सवाल किया कि कैसे सामान्य भक्त भी मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं. भगवान विष्णु ने उत्तर दिया कि जो लोग कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को श्रद्धापूर्वक पूजा करेंगे, उनके लिए स्वर्ग के द्वार खुले होंगे. विष्णु जी ने जय-विजय को आदेश दिया कि इस दिन स्वर्ग के द्वार खुले रखें और जो भी भक्त उनके नाम से पूजा करेगा वह बैकुंठ धाम को प्राप्त करेगा. 
 

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