Mahagathbandhan CM Face: बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन में सीएम फेस पर बवाल! कांग्रेस के बयान से चढ़ा पारा

महागठबंधन के प्रमुख घटक दल कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में अभी तक समर्थन नहीं दिया है. कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कहा कि सही समय पर सभी सहयोगी दल मिलकर इस पर फैसला लेंगे. उन्होंने यह भी जोड़ा कि बिहार की जनता ही अंततः मुख्यमंत्री का चयन करेगी.

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Courtesy: X (@yadavtejashwi)

Mahagathbandhan CM Face: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर महागठबंधन में अनिश्चितता का माहौल है. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर चल रही चर्चाओं और सीट बंटवारे पर सहमति न बनने से गठबंधन में तनाव बढ़ता दिख रहा है.

महागठबंधन के प्रमुख घटक दल कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में अभी तक समर्थन नहीं दिया है. कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कहा कि सही समय पर सभी सहयोगी दल मिलकर इस पर फैसला लेंगे. उन्होंने यह भी जोड़ा कि बिहार की जनता ही अंततः मुख्यमंत्री का चयन करेगी. दूसरी ओर, तेजस्वी ने शनिवार को स्पष्ट किया कि महागठबंधन बिना मुख्यमंत्री चेहरे के चुनाव नहीं लड़ेगा. उन्होंने कहा कि हम बीजेपी की तरह नहीं हैं, जिसके पास मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा नहीं है. हम तभी चुनाव लड़ेंगे, जब नेता का नाम तय होगा. तेजस्वी के इस बयान से कांग्रेस के कुछ नेताओं में नाराजगी की खबरें हैं.

सीट बंटवारे पर खींचतान  

महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर भी सहमति नहीं बन पाई है. बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से राजद कम से कम 150 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहा है. इससे कांग्रेस, वामपंथी दल और मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के लिए केवल 93 सीटें बचती हैं. वामपंथी दल, विशेष रूप से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन, 2020 के चुनावों में अपने अच्छे प्रदर्शन के आधार पर कम से कम 40 सीटें मांग रहे हैं. इसके अलावा, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के गठबंधन में शामिल होने की संभावना ने स्थिति को और जटिल कर दिया है.

2020 के चुनावों का प्रदर्शन  

2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में महागठबंधन का प्रदर्शन मिला-जुला रहा था. राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा और 75 सीटें जीतीं. माले ने 19 सीटों पर 12 सीटें, सीपीआई ने छह में से दो, और सीपीएम ने चार में से दो सीटें जीतीं. वहीं, कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 19 सीटें ही जीत पाई, जो गठबंधन में सबसे कमजोर प्रदर्शन था. इस बार गठबंधन के सामने एकजुट होकर रणनीति बनाने की चुनौती है. महागठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती आपसी समन्वय और विश्वास की कमी है. तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल और सीट बंटवारे की अनिश्चितता से गठबंधन की एकता पर असर पड़ सकता है. इसके अलावा, नए दलों के शामिल होने से सीटों का समीकरण और जटिल हो गया है. कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों को जल्द ही एकजुट होकर रणनीति बनानी होगी, ताकि वे बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को कड़ी टक्कर दे सकें. बिहार की जनता की नजर इस बात पर टिकी है कि महागठबंधन अपनी आंतरिक कलह को कैसे सुलझाता है और चुनाव में कितना मजबूत प्रदर्शन करता है.

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