सुप्रीम कोर्ट ने एल्विश यादव को दी राहत, रेव पार्टी मामले में कार्यवाही पर रोक

एल्विश यादव पर नोएडा में एक रेव पार्टी में सांप का जहर और नशीले पदार्थों की आपूर्ति का आरोप है. नोएडा पुलिस ने 17 मार्च को उन्हें गिरफ्तार किया था. उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया, लेकिन पांच दिन बाद स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी.

Date Updated
फॉलो करें:
Courtesy: Social Media

Elvish Yadav: सुप्रीम कोर्ट ने मशहूर यूट्यूबर और 'बिग बॉस' स्टार एल्विश यादव को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने उनके खिलाफ रेव पार्टी और सांप के जहर से जुड़े मामले में कानूनी कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी है. यह मामला नोएडा में एक कथित रेव पार्टी से जुड़ा है, जिसमें साँप के जहर और अवैध ड्रग्स के इस्तेमाल का आरोप है.

एल्विश यादव पर नोएडा में एक रेव पार्टी में सांप का जहर और नशीले पदार्थों की आपूर्ति का आरोप है. नोएडा पुलिस ने 17 मार्च को उन्हें गिरफ्तार किया था. उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया, लेकिन पांच दिन बाद स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी. गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने छह महीने बाद 6 अप्रैल को 1,200 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया. इसमें साँपों की तस्करी और उनके जहर के इस्तेमाल की जानकारी दी गई.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका

न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मामले की सुनवाई की. एल्विश की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता गौरव गुप्ता को नोटिस जारी किया गया. कोर्ट ने इस मामले को एक अन्य लंबित मामले के साथ जोड़ दिया. अगली सुनवाई 29 अगस्त, 2025 को होगी. तब तक कार्यवाही पर रोक रहेगी. इससे पहले, मई में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एल्विश की याचिका खारिज कर दी थी. उन्होंने आरोपपत्र और सम्मन रद्द करने की मांग की थी. हाई कोर्ट ने कहा कि मामले के तथ्य और आरोपों का समाधान मुकदमे के दौरान ही हो सकता है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि लोकप्रियता कानूनी छूट का आधार नहीं है.

रेव पार्टी में नशीले पदार्थों का सेवन

एल्विश के वकीलों ने दलील दी कि शिकायतकर्ता गौरव गुप्ता वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत वैध अधिकारी नहीं थे. उनके पास से कोई सांप, जहर या नशीला पदार्थ बरामद नहीं हुआ. साथ ही, सह-अभियुक्तों से उनका कोई संबंध नहीं पाया गया. अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि एल्विश ने सांपों की आपूर्ति की थी. रेव पार्टी में लोग सांप के जहर और नशीले पदार्थों का सेवन करते पाए गए. इस आधार पर उनके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई. निचली अदालत में कार्यवाही तब तक रुकी रहेगी, जब तक सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई में कोई फैसला नहीं देता. यदि कोर्ट प्रक्रियात्मक या कानूनी आधार पर राहत देता है, तो यह मामला उनके लिए और आसान हो सकता है. 

Tags :