Gita Gopinath: भारतीय मूल की अमेरिकी अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ अगस्त के अंत में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में प्रथम उप-प्रबंध निदेशक का पद छोड़ देंगी. वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर के रूप में वापसी करेंगी. रॉयटर्स ने सोमवार को आईएमएफ के बयान के हवाले से यह जानकारी दी.
गीता गोपीनाथ 2019 में आईएमएफ की पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री बनीं. 2022 में उन्हें प्रथम उप-प्रबंध निदेशक बनाया गया. गोपीनाथ ने अपने बयान में कहा कि आईएमएफ में काम करना जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर था. उन्होंने प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा और पूर्व प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड का आभार जताया.
जॉर्जीवा ने गोपीनाथ की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि गीता ने महामारी और यूक्रेन संकट जैसे वैश्विक झटकों के दौरान असाधारण नेतृत्व दिखाया. गोपीनाथ ने राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति, ऋण और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर आईएमएफ के विश्लेषण को मजबूत किया. उन्होंने उच्च अनिश्चितता के समय में स्पष्टता के साथ नीतिगत कार्यों को आगे बढ़ाया. गोपीनाथ अब हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र पढ़ाएंगी. वह वैश्विक चुनौतियों पर शोध और नई पीढ़ी के अर्थशास्त्रियों को प्रशिक्षित करेंगी. उन्होंने कहा कि मैं शिक्षा जगत में अपनी जड़ों की ओर लौट रही हूं. उनकी वापसी ऐसे समय में हो रही है, जब हार्वर्ड ट्रंप प्रशासन के निशाने पर है. विश्वविद्यालय पर प्रशासन और प्रवेश प्रक्रियाओं में बदलाव का दबाव है.
गोपीनाथ का इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वैश्विक अर्थव्यवस्था को पुनर्गठित करने की कोशिश कर रहे हैं. वह आयात पर उच्च शुल्क लगाकर अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करना चाहते हैं. गोपीनाथ के जाने से आईएमएफ को नया उप-प्रबंध निदेशक चुनने का मौका मिलेगा. जॉर्जीवा जल्द ही उत्तराधिकारी की घोषणा करेंगी. गोपीनाथ ने आईएमएफ में अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक कदम उठाए. उन्होंने वैश्विक आर्थिक नीतियों को दिशा दी. उनकी बौद्धिक नेतृत्व क्षमता ने आईएमएफ के विश्लेषण को मजबूती दी. वह एक सम्मानित शिक्षाविद के रूप में जानी जाती हैं. उनके योगदान को लंबे समय तक याद किया जाएगा. गोपीनाथ की हार्वर्ड वापसी वैश्विक अर्थशास्त्र के लिए नई संभावनाएं खोलेगी. उनकी विशेषज्ञता से छात्रों को लाभ होगा. दूसरी ओर, आईएमएफ को नया नेतृत्व चुनने की चुनौती है. गोपीनाथ का योगदान वैश्विक मंच पर भारत का गौरव बढ़ाता है. उनकी नई भूमिका से भी यही उम्मीद है.