Delhi Air Quality: दिवाली का त्योहार खत्म हो चुका है. हालांकि इसके दो दिन बाद तक भी आसमान में धुंध की मोटी परत नजर आ रही है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार की सुबह भी वायु प्रदूषण देखने को मिला. दिवाली की पटाखों के साथ धीरे-धीरे पड़ोसी राज्य से पराली जलाने की भी समस्या सामने आनी शुरू हो चुकी है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, सुबह 6 बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 345 रहा, जिसे 'बेहद खराब' श्रेणी में रखा गया है. वायु की खराब स्थिति लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनी हुई है. दिल्ली के पंजाबी बाग इलाके में वायु की गुणवत्ता सबसे खराब दर्ज की गई. मिल रही जानकारी के मुताबिक यहां AQI 437 दर्ज किया गया. यह आंकड़ा पूरे दिल्ली-एनसीआर में सबसे अधिक था.
दिल्ली के पड़ोसी शहरों में भी स्थिति बेहतर नहीं है. नोएडा में AQI 298 रहा, वहीं गुरुग्राम में AQI 252 दर्ज किया गया. इन आंकड़ों से साफ है कि पूरे एनसीआर में वायु प्रदूषण गंभीर समस्या बना हुआ है. धुंध और जहरीली हवा ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. दिवाली के बाद दिल्ली और एनसीआर में वायु गुणवत्ता तेजी से खराब हुई. मंगलवार को धुंध ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया. पटाखों के धुएं और मौसमी परिस्थितियों ने हवा को और जहरीला बना दिया. अधिकांश निगरानी केंद्रों ने AQI को 'रेड ज़ोन' में दर्ज किया. यह स्थिति बच्चों, बुजुर्गों और साँस की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए खासतौर पर खतरनाक है.
सर्वोच्च न्यायालय ने 15 अक्टूबर को दिल्ली-एनसीआर में हरित पटाखों के उपयोग की अनुमति दी थी. यह अनुमति 18 से 20 अक्टूबर तक शाम 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे के लिए थी. कोर्ट ने इसे पर्यावरण और त्योहार के बीच संतुलन बताया. लेकिन, पटाखों के अत्यधिक उपयोग ने हवा को और खराब कर दिया. विशेषज्ञों ने लोगों से मास्क पहनने और बाहर कम निकलने की सलाह दी है. प्रदूषण के इस स्तर पर साँस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं. सरकार और प्रशासन से माँग की जा रही है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए और सख्त कदम उठाए जाएं.