Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनावों की हलचल के बीच सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), शिवसेना और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के भीतर मतभेद लगातार गहराते जा रहे हैं. एक ओर जहां गठबंधन के शीर्ष नेता सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नेताओं के दल बदलने का सिलसिला भी रुकने का नाम नहीं ले रहा.
इससे गठबंधन की एकजुटता और चुनावी रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं. बीते दिनों उपमुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने महायुति के सहयोगी दलों को स्पष्ट चेतावनी दी थी कि वे शिवसेना के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल न करें.
इसके बावजूद बुधवार को बीजेपी ने विकास देसले और अभिजीत थरवाल को अपने संगठन में शामिल कर लिया. दोनों नेता डोंबीवली क्षेत्र से आते हैं और स्थानीय राजनीति में सक्रिय रहे हैं. बीजेपी का यह कदम शिंदे की चेतावनी के विपरीत माना जा रहा है, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई है. बीजेपी की इस कार्रवाई के बाद शिवसेना में नाराजगी खुलकर सामने आई.
महायुति के भीतर अविश्वास
पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक राजेश मोरे ने प्रेस वार्ता कर बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण पर गठबंधन की नीतियों के उल्लंघन का गंभीर आरोप लगाया. मोरे ने कहा कि महायुति के भीतर तय नियमों के बावजूद बीजेपी नेताओं को अपने संगठन में शामिल कर रही है, जो विश्वास और गठबंधन धर्म के खिलाफ है.
इसी प्रेस वार्ता में शिवसेना जिला उपाध्यक्ष राजेश कदम ने तो चव्हाण पर और भी गंभीर आरोप लगाए. कदम का दावा था कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वयं शिवसेना नेताओं के घर जाकर उन्हें पार्टी बदलने के लिए प्रलोभन दे रहे हैं. कदम के इस आरोप ने महायुति के भीतर अविश्वास का माहौल और गहरा कर दिया है.
बीजेपी भी पीछे नहीं हटेगी
उधर, शिवसेना के आरोपों पर बीजेपी ने भी पलटवार किया. बीजेपी की कल्याण इकाई के अध्यक्ष नंदू परब ने कहा कि महायुति के नियमों का सबसे पहले उल्लंघन खुद शिवसेना ने किया. उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों दलों के बीच स्पष्ट सहमति होने के बावजूद शिवसेना ने अंबरनाथ में रॉसलिन फर्नांडिज को अपनी पार्टी में शामिल कर नियम तोड़े थे. परब ने बताया कि उन्हें पार्टी अध्यक्ष की ओर से निर्देश मिले हैं कि फिलहाल किसी भी शिवसेना नेता को बीजेपी में शामिल न किया जाए, लेकिन अगर शिवसेना ने फिर गठबंधन के नियम तोड़े, तो बीजेपी भी पीछे नहीं हटेगी.
नगर निकाय चुनावों के बीच इस तरह की राजनीतिक खींचतान ने महायुति की एकजुटता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. अब देखना यह होगा कि शीर्ष नेतृत्व इन मतभेदों को सुलझा पाता है या यह विवाद आगे चुनावी रणनीति को प्रभावित करेगा.