मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेपी इंफ्राटेक पर ईडी की गिरी गाज, एमडी मनोज गौड़ गिरफ्तार

प्रवर्तन निदेशालय ने जेपी इंफ्राटेक के प्रबंध निदेशक मनोज गौड़ को बारह हजार करोड़ रुपये के धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया है. यह मामला घर खरीदारों से जुटाए धन के दुरुपयोग से जुड़ा है. जांच में कई जगहों पर छापे मारे गए और नकद राशि सहित दस्तावेज जब्त किए गए.

Date Updated
फॉलो करें:
Courtesy: X (@ICONSIndiaIN)

प्रवर्तन निदेशालय ने जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मनोज गौड़ को बारह हजार करोड़ रुपये के धन शोधन मामले में गिरफ्तार कर लिया है. अधिकारियों ने गुरुवार को यह सूचना दी. गौड़ को धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया. जांचकर्ताओं ने उन पर घर खरीदारों से जुटाए धन के दुरुपयोग और हेराफेरी के आरोप लगाए हैं. 

ईडी का यह मामला जेपी समूह की सहायक कंपनियों जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड और जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड से जुड़ा है. इसमें बड़े स्तर पर वित्तीय गड़बड़ियां सामने आई हैं. जांच मुख्य रूप से आवास परियोजनाओं से धन की हेराफेरी पर केंद्रित है. इससे हजारों घर खरीदार प्रभावित हुए हैं. इन लोगों ने कंपनी की रियल एस्टेट योजनाओं में पैसा लगाया था. लेकिन उन्हें फ्लैटों का कब्जा कभी नहीं मिला.  

वित्तीय संकट में फंस गई कंपनी

जेपी इंफ्राटेक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बड़े आवास और ढांचा परियोजनाओं का निर्माण करने वाली शुरुआती निजी कंपनियों में से एक थी, लेकिन कंपनी गंभीर वित्तीय संकट में फंस गई. इससे परियोजनाएं देर से पूरी हुईं, घर खरीदारों और कर्ज देने वालों को भुगतान में चूक हुई. हजारों घर इकाइयां देने में असफल रहने के बाद कंपनी को सत्रह में दिवाला प्रक्रिया में डाला गया. तब से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के जरिए कर्ज समाधान के कई प्रयास हुए हैं. कई डेवलपर और वित्तीय संस्थाएं कंपनी की संपत्तियों पर नियंत्रण चाहती हैं.

ईडी की जांच इस संदेह पर आधारित है कि घर खरीदारों और बैंकों से जुटाया धन परियोजनाएं पूरी करने के बजाय समूह की अन्य कंपनियों में डाल दिया गया. धन शोधन की जांच सत्रह में घर खरीदारों के बड़े विरोध के बाद दर्ज कई प्राथमिकी पर आधारित है. प्राथमिकी में जेपी समूह पर आपराधिक साजिश धोखाधड़ी और बेईमानी से लालच देने के आरोप हैं. इसमें कहा गया कि आवास परियोजनाओं के लिए निवेशकों से जुटाया धन दुरुपयोग किया गया या कहीं और भेज दिया गया.

 घर देने का वाद निकला धोखा 

ईडी के मुताबिक कथित धोखाधड़ी में जेपी विशटाउन और जेपी ग्रीन्स जैसी बड़ी परियोजनाओं का धन शामिल है. यहां खरीदारों को घर देने का वादा किया गया था, लेकिन घर कभी नहीं मिले. कई फ्लैट दस ग्यारह में बिक गए थे. लेकिन निर्माण में देरी और धन के दुरुपयोग से निवेशकों को सालों इंतजार करना पड़ा. अधिकारियों ने बताया कि प्रबंध निदेशक के रूप में गौड़ ने कंपनी के प्रबंधन और वित्तीय फैसलों में अहम भूमिका निभाई.

जांच में घर खरीदारों के पैसे को समूह की अन्य योजनाओं में डालने के सबूत मिले हैं. जारी जांच में ईडी ने दिल्ली नोएडा गाजियाबाद और मुंबई में जेपी इंफ्राटेक जयप्रकाश एसोसिएट्स और संबंधित कंपनियों के पंद्रह ठिकानों पर छापे मारे. इन कार्रवाइयों में एजेंसी ने एक दशमलव सात करोड़ रुपये नकद कई वित्तीय दस्तावेज डिजिटल रिकॉर्ड और प्रमोटरों उनके परिवार और संबंधित संस्थाओं की संपत्ति के कागजात जब्त किए.  

Tags :