International: ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक पत्नी संग अक्षरधाम मंदिर के दर्शन करने पहुंचे

International: ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति संग आज दिल्ली स्थित अक्षरधाम मंदिर का दर्शन करने पहुंचे है. स्वामीनारायण मंदिर के मुख्य पुजारी ने दोनों पति- पत्नी का स्वागत किया है. जिसके बाद दोनों को मुख्य मंदिर में पूजा-अर्चना करवाई गई. ऋषि पत्नी संग 45 मिनट तक मंदिर परिसर में मौजूद रहे, […]

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International: ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति संग आज दिल्ली स्थित अक्षरधाम मंदिर का दर्शन करने पहुंचे है. स्वामीनारायण मंदिर के मुख्य पुजारी ने दोनों पति- पत्नी का स्वागत किया है. जिसके बाद दोनों को मुख्य मंदिर में पूजा-अर्चना करवाई गई. ऋषि पत्नी संग 45 मिनट तक मंदिर परिसर में मौजूद रहे, साथ ही उन्होंने मंदिर में जलाभिषेक भी किया. वहीं उनके अभिनंदन और स्वागत के लिए मंदिर के अंदर-बाहर सुरक्षा-व्यवस्था का पक्का इंतजाम किया गया था.

सुनक का बयान मुझे हिंदू होने पर गर्व

पीएम ऋषि सुनक ने बीते दिन अक्षरधाम मंदिर जाने की इच्छा रखी थी. उन्होंने बताया था कि ” मुझे हिंदू होने पर गर्व है। मैं इसी तरह पला-बढ़ा हूं और मैं ऐसा ही हूं.मैंने रक्षा बंधन मनाया था.समय न होने की वजह से मैं जन्माष्टमी नहीं मना पाया था.लेकिन उम्मीद है कि इसकी भरपाई किसी मंदिर में जाने से होगी.यह विश्वास ही है, जो हमें मजबूती देता है.”

ऋषि सुनक आखिर हैं कौन

साल 2022 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने ऋषि सुनक पहले भारतवंशी एवं गैर श्वेत प्रधानमंत्री हैं. वहीं ऋषि भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इन्फोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायणमूर्ति के दामाद हैं, क्योंकि उनकी बेटी अक्षता से उनका विवाह हुआ है. दरअसल ऋषि सुनक के परिवार वाले पंजाब के निवासी हैं. जो विदेश में जाकर रहने लगे. वर्ष 1980 में 12 मई को सुनक का जन्म ब्रिटेन के हैंपशायर में हुआ था. जबकि अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से ऋषि ने MBA (एमबीए) की डिग्री प्राप्त की है. इसके साथ ही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से राजनीति, अर्थशास्त्र, दर्शन की पढ़ाई की है.

अक्षरधाम मंदिर

आपको बता दें कि अक्षरधाम मंदिर के निर्माण की बात स्वामीनारायण के जीवनकाल में हुई थी. इतना ही नहीं ब्रिटिश हुकूमत ने मंदिर के निर्माण कार्य के लिए जमीन दी थी. जबकि मंदिर का निर्माण स्वामीनारायण, आनंदानंद स्वामी का अनुयायी में हुआ था. जिसके लिए स्वामीनारायण ने भी श्रमदान किया था.