पुणे: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा और अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिला है. उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने रविवार को पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम चुनावों के लिए अपनी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और चाचा शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के बीच गठबंधन की घोषणा कर दी. यह फैसला पवार परिवार की लंबे समय से चली आ रही विभाजन के बाद एकता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
अजीत पवार ने इसे 'परिवार के फिर से एकजुट होने' का प्रतीक बताया, जिससे स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों को गति मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. पिंपरी-चिंचवड़ में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अजीत पवार ने कहा कि उम्मीदवारों की सूची अंतिम करने के दौरान दोनों गुटों ने संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया.
अजीत पवार ने जोर देकर कहा कि घड़ी और तुतारी एक हो गए हैं, जो दोनों पार्टियों के चुनाव चिह्नों का प्रतीकात्मक संदर्भ था. अजीत पवार ने महाराष्ट्र के व्यापक विकास के हित में ऐसे फैसलों की जरूरत पर बल दिया. स्थानीय नेताओं के साथ सीट बंटवारे पर चर्चा चल रही है और इसकी घोषणा शीघ्र की जाएगी. यह गठबंधन 2023 में पार्टी विभाजन के बाद पहली बार दोनों गुटों का संयुक्त मोर्चा है, जो स्थानीय चुनावों में भाजपा की मजबूती को चुनौती दे सकता है.
महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य की 29 नगर निगमों के लिए चुनाव कार्यक्रम घोषित किया है. पिंपरी-चिंचवड़ में यह गठबंधन एनसीपी की पारंपरिक मजबूती को बहाल करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, जहां पहले अविभाजित एनसीपी का दबदबा रहा करता था.
दूसरी ओर, पुणे नगर निगम चुनावों के लिए दोनों गुटों के बीच चली लंबी बातचीत अंततः असफल रही. शरद पवार गुट ने अजीत पवार की मुख्य मांगों, जैसे अलग चिह्न पर चुनाव लड़ने की अनुमति, पर सहमति न देने के कारण चर्चा तोड़ दी. सूत्रों के अनुसार, अजीत गुट ने शरद गुट के उम्मीदवारों को केवल 'घड़ी' चिह्न पर लड़ने की शर्त रखी थी, जिसे अस्वीकार कर दिया गया. नतीजतन, शरद पवार की एनसीपी (एसपी) ने महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के साथ फिर से बातचीत शुरू कर दी है. कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के साथ समन्वय बैठकें हो रही हैं, जहां सीट बंटवारे पर विचार विमर्श चल रहा है. इससे पुणे में एमवीए के भीतर पहले पैदा हुई दरारें दूर होने की संभावना है.