Loksabha 2024: लोकसभा चुनाव से पहले यूपी प्रभार से मुक्त हुई प्रियंका गांधी, छवि बचाने के कोशिश या किसी बड़ी जिम्मेदारी की तैयारी?

Loksabha 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी है. ऐसे में कांग्रेस के बड़े नेताओं का मुख्य पदों से दूर होना बड़े सवाल खड़े करता है.

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हाइलाइट्स

  • हार की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की तैयारी या कोई बड़ी चाल?
  • यूपी में अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है कांग्रेस

Uttar Pradesh:  लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने में अब ज्यादा दिन नहीं बचे है. ऐसे में सभी पार्टियां अपने-अपने रथ के पहिये कस के चुनावी युद्धभूमि में आने की तैयारी कर रही है. लेकिन इसी बीच कांग्रेस ने अपने मुख्य सेनापतियों के चेहरे ही बदल दिये हैं. लोकसभा चुनाव से महज चार महीने पहले ही प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश के प्रभारी पद से मुक्त कर दिया गया है.

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी थी. इसके बाद उन्हें उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव बनाया गया था. हालांकि अब यूपी जैसे बड़े और  महत्वपूर्ण राज्य से प्रियंका गांधी को हटाना कांग्रेस की कोई रणनीति है या अपनी छवि बचाने की कोशिश , ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा.

क्या प्रियंका को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी 

कांग्रेस नेताओं का मानना है कि प्रियंका गांधी को यूपी जैसे बड़े राज्य की जिम्मेदारी से मुक्त करके पार्टी कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपने वाली है. कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा पार्ट-2 में भी शामिल हो सकती हैं. इसके अलावा उन्हें रायबरेली या चिकमंगलोर से चुनावी रणभूमि में उतारा जा सकता है.

बता दें कि 2009 के बाद से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति काफी खराब है. 2014 में कांग्रेस को सिर्फ दो सीट रायबरेली और अमेठी से जीत मिली थी, जबकि 2019 में पार्टी को सिर्फ रायबरेली में सोनिया गांधी की जीत से संतोष करना पड़ा था.

प्रियंका की छवि बचाने की हो रही कोशिश?

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस की  इस रणनीति को कुछ लोग बड़ा दांव मन रहे हैं तो कुछ प्रियंका गांधी की छवि को बचाने की कोशिश. जनता के रुख को देखते हुए 2024 के चुनाव में कांग्रेस की जीत की संभावना बेहद कम है. इसके साथ ही प्रियंका गांधी के कार्यकाल में यूपी में चार चुनाव हुए और सभी चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. यहाँ तक कि पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई थी.

इसके साथ ही ये भी कहा जाता है कि प्रियंका गांधी का ध्यान यूपी की राजनीति में है ही नहीं. वो पिछले डेढ़ साल से राज्य में भी नहीं आई हैं और न ही किसी कार्यकर्ता से ही मिली हैं. उत्तर प्रदेश के नेता और पदाधिकारियों को दिल्ली में मुलाकात के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. ऐसे में यूपी में उनकी जीत की संभावना न के बराबर है. इसे देखते हुए ये अनुमान लगाया जा रहा है कि यूपी प्रभार से प्रियंका को मुक्त करना दरअसल हार की जिम्मेदारी से बचने का हथकंडा है. 

प्रियंका के 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' के नारे को नकार दिया यूपी ने 

प्रियंका गांधी यूपी में बुरी तरह से असफल रही हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रियंका गांधी ने 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' के नारे के साथ कांग्रेस के 399 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था. लेकिन इस चुनाव में पार्टी सबसे बुरी स्थिति में पहुँच गई थी. इसके बाद प्रियंका गांधी से न तो यूपी की जनता खुश है और यूपी कांग्रेस कार्यकर्ताओं की चिंता खुद प्रियंका को नहीं है. तब ही तो पिछले डेढ़ साल से एक बार भी राज्य में झाँकने नहीं आई प्रियंका से दिल्ली में भी मिलने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है.

हालांकि आने वाले चुनाव में एक बार फिर प्रियंका को चेहरे को इंदिरा गांधी के चेहरे से जोड़ कर उन्हे स्टार प्रचारक के तौर पर आगे किया जाएगा , लेकिन इससे कितना फायदा होगा ये तो चुनाव के परिणाम  ही बताएंगे.