Pune Shaniwar Wada: पुणे के शनिवार वाड़ा किले में तीन मुस्लिम महिलाओं द्वारा नमाज पढ़ने के बाद विवाद छिड़ गया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद मेधा कुलकर्णी ने इस घटना के बाद उस स्थान को गौमूत्र से साफ किया, जिससे राजनीतिक और सामाजिक तनाव बढ़ गया है. इस मामले ने न केवल स्थानीय स्तर पर हलचल मचाई है, बल्कि सत्तारूढ़ गठबंधन में भी दरार उजागर हो गई है.
शनिवार को वाड़ा किले में तीन मुस्लिम महिलाओं ने नमाज अदा की. इसकी जानकारी मिलते ही भाजपा सांसद मेधा कुलकर्णी ने तुरंत उस स्थान पर गौमूत्र छिड़ककर उसे शुद्ध करने का दावा किया. कुलकर्णी ने इसे ऐतिहासिक स्थल का अपमान बताया. उन्होंने कहा कि शनिवार वाड़ा नमाज पढ़ने की जगह नहीं है. यह हमारी संस्कृति का प्रतीक है. प्रशासन को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. कुलकर्णी ने अपने कार्यकर्ताओं के बीच भी इस मुद्दे को उठाया और इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़ा.
भाजपा की सहयोगी पार्टियों, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने कुलकर्णी के इस कदम की कड़ी निंदा की है. शिवसेना नेता नीलम गोरहे ने कहा कि शनिवार वाड़ा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षण में है. कानून तोड़ने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की कोशिश गलत है. राकांपा की रूपाली पाटिल थोम्ब्रे ने भी कुलकर्णी के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की. उन्होंने कहा कि ऐसे कृत्य समाज में नफरत फैलाते हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है. पुलिस उपायुक्त कृषिकेश रावले ने बताया कि हम एएसआई के साथ संपर्क में हैं. उनकी शिकायत के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी. शनिवार वाड़ा एक संरक्षित स्मारक है, और यहां अनधिकृत गतिविधियां प्रतिबंधित हैं. पुलिस ने नमाज पढ़ने वाली महिलाओं और कुलकर्णी के कृत्य दोनों की जांच शुरू की है.
शनिवार वाड़ा 1736 में पेशवाओं द्वारा बनाया गया एक ऐतिहासिक किला है. यह पुणे की संस्कृति और इतिहास का प्रतीक माना जाता है. 13 मंजिला यह महल पेशवा शक्ति का केंद्र था. हालांकि, 1828 में आग लगने से यह नष्ट हो गया. अब केवल इसकी दीवारें और विशाल कील-जड़ित दरवाजे बचे हैं. यह स्थल पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए महत्वपूर्ण है. कुलकर्णी के गौमूत्र छिड़कने के कृत्य पर कई सामाजिक संगठनों ने आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि यह कदम सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकता है. कुछ संगठनों ने इसे धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश करार दिया. इस घटना ने पुणे में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है.