Ayodhya Ram Mandir: तमिलनाडु मठ के शंकराचार्य प्राण प्रतिष्ठा के साथ आयोजित करेंगे 40 दिनों का खास यज्ञ, 100 से ज्यादा पुजारी होंगे शामिल

Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने वाली है. इसके लिए अयोध्या को सजाया जा रहा है. मंदिर में होने वाले कार्यक्रम के लिए तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं.

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Ayodhya Ram Mandir: देशभर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह का माहौल है. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने वाली है. इसके लिए अयोध्या को सजाया जा रहा है. मंदिर में होने वाले कार्यक्रम के लिए तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. वहीं, अब प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तमिलनाडु का कांचीपुरम स्थित कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य ने ऐलान किया है कि वह प्राण प्रतिष्ठा के लिए काशी की यज्ञशाला में 40 दिन की विशेष पूजा का आयोजन करेंगे.

कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य का ऐलान

बीते दिनों कांग्रेस नेताओं ने राम मंदिर की प्राण को लेकर शामिल न होने की बात कहीं थी. साथ ही कहा था कि चारों पीठ के शंकराचार्य ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का बहिष्कार किया है. इसी बीच कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य ने बड़ा ऐलान किया है. बता दें, 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के साथ इस यज्ञ की शुरुआत की जाएगी, जो अगले 40 दिनों तक चलेगी.

कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सारस्वत ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन काशी स्थित हमारे यज्ञशाला में 40 दिनों तक विशेष पूजा की जाएगी. उन्होंने कहा, 'भगवान राम के आशीर्वाद से अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी. हमारे काशी स्थित यज्ञशाला में भी इस मौके पर 40 दिन की विशेष पूजा की जाएगी, जो कि राम मंदिर कार्यक्रम के साथ शुरू होगी. पूजा वैदिक विद्वानों की मार्गदर्शन में होगी, इनमें लक्ष्मी कांत दीक्षित भी शामिल हैं. 100 से ज्यादा पुजारी इस दौरान पूजा और हवन करेंगे.'

शंकराचार्य ने पीएम मोदी का किया समर्थन 

शंकराचार्य विजयेंद्र सारस्वत ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि पीएम देश भर के तीर्थ स्थलों और परिसरों के विकास पर भी काफी जोर दे रहे हैं. उन्हीं के नेतृत्व में केदारनाथ और काशी विश्वनाथ मंदिरों में विकास और विस्तार हुआ है.

भारत में चार प्रमुख मठ द्वारका, ज्योतिष, गोवर्धन और श्रृंगेरी पीठ हैं, लेकिन तमिलनाडु के कांची कामकोटि पीठ भी महापीठ का दावा करता है और यहां के शंकराचार्य खुद को अन्य चार शंकराचार्य की तरह मानते हैं. हालांकि, प्रमुख चारों पीठ के शंकराचार्य उन्हें शंकराचार्य नहीं मानते हैं.