उन्नाव बलात्कार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया गया था.
अदालत के इस फैसले से सेंगर को तत्काल राहत नहीं मिलेगी और वे जेल में ही रहेंगे. कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि चूंकि सेंगर एक अन्य मामले में भी दोषी हैं, इसलिए उन्हें रिहा नहीं किया जा सकता.
2017 के उन्नाव बलात्कार कांड में कुलदीप सिंह सेंगर को दिसंबर 2019 में दिल्ली की एक ट्रायल कोर्ट ने नाबालिग पीड़िता से दुष्कर्म का दोषी ठहराया था. अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई साथ ही 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब पीड़िता ने आत्मदाह की कोशिश की और उनके परिवार पर हमले हुए. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सभी संबंधित मामले उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर किए गए थे.
सेंगर ने अपनी सजा और दोषसिद्धि के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी. 23 दिसंबर 2025 को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर) ने उनकी सजा को अपील लंबित रहने तक निलंबित कर दिया और सशर्त जमानत दे दी. कोर्ट ने तर्क दिया कि सेंगर ने सात साल से अधिक समय जेल में बिता लिया है. हालांकि, एक अन्य मामले में पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के लिए उन्हें 10 साल की सजा अलग से चल रही है, इसलिए वे तत्काल रिहा नहीं हो सकते थे.
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इसे चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. सीबीआई का कहना था कि यह आदेश कानून के विपरीत है और पीड़िता की सुरक्षा को खतरा पैदा कर सकता है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच ने सीबीआई की अपील पर सुनवाई की और हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी.
कोर्ट ने सेंगर को नोटिस जारी किया और उन्हें जवाब दाखिल करने का समय दिया. कोर्ट ने कहा कि विशेष परिस्थितियों में जहां दोषी एक अलग अपराध में भी सजा भुगत रहा है, हाईकोर्ट का आदेश लागू नहीं होगा.इस फैसले से सेंगर जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता को भी मामले में हस्तक्षेप की अनुमति दी है. यह खबर पीड़िता और उनके परिवार के लिए बड़ी राहत है.