आखिरी चरण में इन हाई प्रोफाइल सीटों पर होगी वोटिंग, PM मोदी समेत ये बड़े चेहरे शामिल

Lok Sabha Elections 2024: देश में लोकसभा चुनाव को लेकर हलचल और बढ़ गई है. इस बीच आम चुनाव के 7वें यानि आखिरी के लिए सभी राजनीतिक दलों के बीच जोर-शोर से चुनावी प्रचार प्रसार देखा जा रहा है. ऐसे में आखिरी चरण में  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही उनके एनडीए के तीन मंत्रियों की भी अग्नि परीक्षा है.

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Lok Sabha Elections 2024: देश में लोकसभा चुनाव को लेकर हलचल और बढ़ गई है. इस बीच आम चुनाव के 7वें यानि आखिरी के लिए सभी राजनीतिक दलों के बीच जोर-शोर से चुनावी प्रचार प्रसार देखा जा रहा है. ऐसे में आखिरी चरण में  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही उनके एनडीए के तीन मंत्रियों की भी अग्नि परीक्षा है. तीनों को विपक्षी गठबंधन इंडिया से कड़ी टक्कर मिलती दिखाई दे रही है. वहीं हम बात करें तो सबकी नजर गोरखपुर व गाजीपुर की सीट पर है.

7 वे चरण का मतदान बहुत ही खास है. इस चरण में पीएम नरेंद्र खुद वाराणसी से चुनावी मैदान में हैं, वहीं उनके कैबिनेट मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय चंदौली से और अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से अपनी किसमत आजमा रही हैं.

दूसरी बार चुनावी में ये नेता

इस दौरान महराजगंज से राज्यमंत्री पंकज चौधरी चुनावी मैदान में हैं. सूत्रों से मिली जानकारी  के अनुसार, वाराणसी  लोकसभा सीट पर तो चुनाव मार्जिन को लेकर हो रहा है, वही तीन मंत्रियों के सामने कड़ा मुकाबला है. वही गोरखपुर से अभिनेता रवि किशन दूसरी बार चुनावी मैदान में हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जिला होने  के चलते  इस सीट पर भी लोगों की नजर बनी हुई हैं. 7वें  चरण में सबसे फेमस सीट गाजीपुर में भी वोटिंग होनी है. गाजीपुर माफिया मुख्तार अंसारी का गढ़ माना जाता है. यहां से मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

बीजेपी की लहर के रहते हुए 2019 में अफजाल अंसारी बीएसपी के टिकट पर चुनाव जीते थे तब समाजवादी पार्टी व बीएसपी का गठबंधन था. इस बार बीजेपी ने स्थानीय  नेता पारसनाथ राय को टिकट दिया है. 

पिछले चुनाव में बलिया सीट से बीजेपी  के टीकट से वीरेंद्र सिंह महज 15,519 वोटों से जीते थे. बलिया से सपा  के टिकट पर सनातन पांडेय ने कड़ी टक्कर दी थी. वहीं चंदौली में डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय भी महज 13, 959 वोटों के अंतर से  चुनाव जीते थे. 

जातीय समीकरणों के आधार पर चुनाव 

अन्य चरणों की तरह आखिरी चरण में भी विकास के मुद्दे से ज्यादा जातीय समीकरणों के आधार पर चुनाव होता दिखाई दे रहा है. इसलिए बीजेपी के सहयोगी पिछड़े चेहरे अपना दल (एस) की मुखिया अनुप्रिया पटेल, सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर व निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद की साख दाव पर है. सबसे बड़ी चुनौती ओमप्रकाश राजभर के सामने है, क्योंकि उनके बेटे अरविंद राजभर 2019 में बीजेपी की हारी हुई घोसी सीट से  चुनावी मैदान में हैं. समाजवादी पार्टी के राजीव राय और इसी सीट से सांसद रहे बीएसपी के बालकृष्ण चौहान राजभर को कड़ी टक्कर देते दिखाई दे रहें हैं. ऐसे में  घोसी सीट जीतना एनडीए के लिए 'नाक का सवाल' बन गई है.

पूर्वाचल में जातियों का चक्रव्यूह

उत्तर प्रदेश के पूर्वाचल में जातियों का ऐसा चक्रव्यूह है कि कोई भी पार्टी चाहकर भी अपने कोर वोटरों को नहीं सहेज सकती. किसी भी पार्टी का कोर वोटर तभी तक उसके साथ रहता है, जब तक उनकी जाति का उम्मीदवार उसकी पार्टी से है. वही अगर पार्टी का कैंडिडेट किसी और जाति से और मुकाबले में किसी और दल से अपनी जाति का कैंडिडेट है तो वोटर का मन बदल जाता है.

बलिया में बीजेपी के नीरज शेखर हों या चंदौली में डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, दोनों लोग जातियों के चक्रव्यूह में फंसे हैं. नीरज के सामने समाजवादी पार्टी के सनातन पांडेय वही डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय के सामने वीरेंद्र सिंह मुश्किलें खडी कर दी है.