'दिव्यांगों का मजाक बनाने वालों को मांगनी होगी माफी', समय रैना मामले पर SC के निर्देश

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को हुई सुनवाई में इन प्रभावशाली लोगों द्वारा दिव्यांगजनों के खिलाफ की गई टिप्पणियों पर सख्त नाराजगी जताई. याचिका CURE SMA फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने दायर की थी.

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Courtesy: Social Media

Samay Raina: सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया इंफ्लूएंसरों को लेकर कड़ा निर्देश दिया है. अदालत ने समय रैना के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि उन्हें अपने पॉडकास्ट और कार्यक्रमों में दिव्यांगजनों का उपहास करने के लिए माफी मांगनी होगी. इस मामले में समय रैना, विपुल गोयल, बलराज परमजीत सिंह घई, सोनाली ठक्कर और निशांत जगदीश तंवर शामिल हैं. अदालत ने सरकार से सोशल मीडिया पर अपमानजनक भाषणों को रोकने के लिए दिशानिर्देश बनाने की मांग भी की है.

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को हुई सुनवाई में इन प्रभावशाली लोगों द्वारा दिव्यांगजनों के खिलाफ की गई टिप्पणियों पर सख्त नाराजगी जताई. याचिका CURE SMA फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने दायर की थी, जिसमें कहा गया कि ये प्रभावशाली लोग अपने शो में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) जैसी दुर्लभ बीमारियों और अन्य विकलांगताओं से पीड़ित लोगों का मजाक उड़ाते हैं. फाउंडेशन ने वीडियो साक्ष्य भी पेश किए, जो इन व्यक्तियों की असंवेदनशील टिप्पणियों को दर्शाते हैं.

अदालत ने क्या कहा?

न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने मई में हुई सुनवाई में इन टिप्पणियों को 'घृणास्पद भाषण' करार दिया था. अदालत ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन यह किसी समुदाय को नीचा दिखाने की अनुमति नहीं देता. अदालत ने प्रभावशाली लोगों से पूछा कि आपके चुटकुले कहां खत्म होंगे? साथ ही, उन्हें अपने पॉडकास्ट पर माफी मांगने का आदेश दिया. वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने अदालत में फाउंडेशन का पक्ष रखते हुए कहा कि इन प्रभावशाली लोगों को अपने मंच का उपयोग कर दिव्यांगजनों के प्रति जागरूकता फैलानी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह सबसे अच्छी माफी होगी. अदालत ने इस सुझाव का समर्थन करते हुए प्रभावशाली लोगों से सकारात्मक कदम उठाने को कहा.

संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन

याचिका में कहा गया कि ये लोग संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करते हैं. ये वीडियो दिव्यांगजनों के खिलाफ रूढ़ियों को बढ़ावा देते हैं और उनकी सामाजिक भागीदारी को नुकसान पहुंचाते हैं. याचिका के अनुसार, ऐसी सामग्री अनुच्छेद 19(2) के तहत उचित प्रतिबंधों के दायरे में आती है. यह पहली बार नहीं है जब समय रैना विवादों में घिरे हैं. इससे पहले, रणवीर अल्लाहबादिया के साथ उनके शो 'इंडियाज़ गॉट लेटेंट' में की गई टिप्पणियों के लिए भी सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें तलब किया था. अदालत ने उनकी असंवेदनशील टिप्पणियों पर कड़ी फटकार लगाई थी. सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से दिव्यांगजनों, महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपमानजनक भाषणों पर रोक लगाने के लिए सोशल मीडिया दिशानिर्देश बनाने को कहा है. अदालत का मानना है कि ऐसी सामग्री समाज में असंवेदनशीलता को बढ़ावा देती है.

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