Amit Shah: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 130वें संशोधन विधेयक 2025 का जोरदार बचाव किया है. उन्होंने इसका बचाव करते हुए कहा कि यह विधेयक गंभीर अपराधों में सजा पाने वाले नेताओं के लिए सख्त नियम लाता है. शाह ने इस कानून के पीछे तर्क देते हुए कहा कि यह कानून देश की राजनीति को और भी ज्यादा पारदर्शी बनाएगा.
मानसून सत्र के दौरान पेश किया गया 130वां संशोधन विधेयक कहता है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर अपराध में 30 दिनों तक जेल में रहते हैं, तो उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ेगा. अमित शाह ने एएनआई पॉडकास्ट में इस बारे में बात करते हुए कहा कि यह नियम केवल गंभीर मामलों पर लागू किया जाएगा. छोटे-मोटे आरोपों पर किसी को पद छोड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उन्होंने कहा कि जहां 5 साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान हो, वहां यह नियम लागू होगा.
शाह ने यह भी साफ किया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में पहले से ही ऐसा प्रावधान है. अगर किसी सांसद को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाती है. इस नए विधेयक से नियम और सख्त होंगे. गृह मंत्री ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जिक्र किया. केजरीवाल को शराब नीति मामले में गिरफ्तारी के बाद भी इस्तीफा देने से इनकार करना पड़ा था. शाह ने कहा कि अगर यह कानून लागू होता, तो केजरीवाल को इस्तीफा देना पड़ता. उन्होंने बताया कि जनता के दबाव और सवालों के कारण केजरीवाल ने आखिरकार इस्तीफा दिया और आतिशी को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया.
शाह ने इसे नैतिकता की जीत बताया. 130वें संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया है. इस पर शाह ने कहा कि विपक्ष को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया गया. अगर वे इस मौके का फायदा नहीं उठाना चाहते, तो यह उनकी पसंद है. उन्होंने जोर देकर कहा कि जेपीसी अपना काम करेगी. शाह ने यह भी कहा कि अगर विपक्ष अगले चार साल तक सहयोग नहीं करता, तो भी देश का कामकाज नहीं रुकेगा. जनता सब देख रही है और वह फैसला करेगी.
यह विधेयक राजनीति में स्वच्छता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए लाया गया है. शाह का कहना है कि गंभीर अपराधों में शामिल नेताओं को पद पर बने रहने का हक नहीं होना चाहिए. यह कानून जनता का भरोसा बढ़ाएगा. हालांकि, विपक्ष का मानना है कि इस कानून का दुरुपयोग हो सकता है. 130वां संशोधन विधेयक 2025 अब संसद में चर्चा के लिए तैयार है. जेपीसी इस पर अपनी रिपोर्ट देगी. अगर यह कानून पास हो जाता है, तो यह भारतीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है.