पटना: बिहार में नई सरकार के गठन के साथ ही विभागों का बंटवारा भी पूरा हो गया है. इस बार फिर से शिक्षा की कमान जदयू नेता सुनील कुमार को सौंपी गई है. शिक्षक से लेकर अभिभावकों तक, हर किसी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि नए शिक्षा मंत्री किन बदलावों की शुरुआत करेंगे. यही कारण है कि सुनील कुमार की योग्यता और अनुभव चर्चा का विषय बन गए हैं. दिलचस्प बात यह है कि सुनील कुमार राजनीति में आने से पहले शिक्षित और सक्षम प्रशासनिक अधिकारी रह चुके हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई कर UPSC पास करना और फिर 33 साल तक IPS के रूप में सेवा देना, उनकी क्षमता को दर्शाता है. अब बिहार में शिक्षा सुधार को लेकर उनसे नए आयामों की उम्मीद की जा रही है.
सुनील कुमार की शिक्षा शुरुआत से ही मजबूत रही है. उन्होंने इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पूरा किया, जो देश के सबसे प्रतिष्ठित कॉलेजों में गिना जाता है. यह वही संस्थान है जहां देश के बड़े नेता, अधिकारी और प्रख्यात व्यक्तित्व पढ़ते रहे हैं. ऐसे में बिहार के शिक्षा विभाग का नेतृत्व अब एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में है, जिसने खुद उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त की है.
पढ़ाई में अव्वल रहे सुनील कुमार UPSC जैसे कठिन परीक्षा में भी सफल रहे. वे 1987 बैच के IPS अधिकारी बने और बिहार पुलिस में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करते हुए राज्य में कानून-व्यवस्था को संभालने में अहम भूमिका निभाई. 2020 में DG रैंक से रिटायर होने तक वे प्रशासन और पुलिस प्रबंधन दोनों में सख्ती और ईमानदारी के लिए जाने जाते रहे.
सुनील कुमार ने पुलिस विभाग में रहते हुए कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निभाईं. वे बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के चेयरमैन तथा मैनेजिंग डायरेक्टर भी रहे. अपने कार्यकाल में उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर, सुरक्षा नीति और प्रशासनिक फैसलों से राज्य में बड़ी भूमिका निभाई. यही अनुभव अब शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए उपयोगी माना जा रहा है.
सुनील कुमार के परिवार का राजनीति से पुराना रिश्ता रहा है. उनके पिता चंद्रिका राम बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं. उनका भाई भी विधायक रह चुका है. ऐसे में परिवार से मिली राजनीतिक समझ और प्रशासनिक अनुभव का मेल शिक्षा व्यवस्था में नई दिशा दे सकता है. इस कारण वे सरकारी तंत्र और आम जनता की अपेक्षाओं को अच्छी तरह समझते हैं.
सुनील कुमार की नियुक्ति ने राज्य के शिक्षा जगत में नई उम्मीदें पैदा की हैं. इससे पहले IAS अधिकारी के.के. पाठक की सख्त कार्यशैली चर्चा में रही थी. अब एक उच्च शिक्षित और अनुभवी IPS अधिकारी के शिक्षा मंत्री बनने से माना जा रहा है कि स्कूलों और कॉलेजों में अनुशासन के साथ-साथ गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जाएगा. विशेषज्ञों का कहना है कि उनका प्रशासनिक अनुभव शिक्षा सुधार की दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है.