Priyanka Gandhi Strategy: बड़ी जिम्मेदारी लेने से क्यों बच रही हैं प्रियंका? क्या कांग्रेस कर रही रिमोट कंट्रोल वाली पॉलिटिक्स?

Priyanka Gandhi Strategy: प्रियंका गांधी राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी की बड़ी जिम्मेदारियां लेने से बच रही हैं। आइए समझते हैं कि इसके पीछे उनकी क्या रणनीति हो सकती है.

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हाइलाइट्स

  • प्रियंका गांधी बच रही हैं जिम्मेदारी लेने से!
  • राजनीति में पूरी तरह एक्टिव, लेकिन पर्दे के पीछे से गांधी परिवार कर रहा बैटिंग!

Priyanka Gandhi Strategy: कांग्रेस ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि परिवर्तन वास्तव में एक स्थिर नियम है। पार्टी को तेलंगाना में जीत मिली लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हार के बाद चेहरे बदलने पड़े. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संगठन में बड़ा फेरबदल किया है. खड़गे ने पार्टी पदाधिकारियों और प्रभारियों की नई टीम तैयार की है, जिसमें उन्होंने 12 महासचिव और 12 प्रदेश प्रभारी नियुक्त किए हैं. बड़ी बात यह है कि इस फेरबदल में प्रियंका गांधी का महासचिव पद तो बरकरार रखा गया है लेकिन उन्हें यूपी प्रभार से मुक्त कर दिया गया है. अब इस फैसले के कई मायने निकाले जा रहे हैं.

जिम्मेदारी से भाग रही है प्रियंका!

यूपी में योगी राज का मुकाबला करने के लिए प्रियंका की जगह अविनाश पांडे को राज्य का प्रभार मिला है. वहींम अब सवाल ये है कि प्रियंका गांधी ने खुद कोई बड़ी जिम्मेदारी क्यों नहीं ली? 2022 में यूपी में करारी हार के बाद प्रियंका गांधी वहां बिल्कुल भी सक्रिय नहीं दिखीं. क्या वह समझ गई हैं कि यूपी में कांग्रेस के लिए फिलहाल कुछ खास नहीं बचा है? या फिर प्रियंका को डर है कि पार्टी के लगातार खराब प्रदर्शन से उनकी छवि खराब हो सकती है. इससे बचने के लिए उन्होंने यूपी की जिम्मेदारी अविनाश पांडे को देने की इजाजत दे दी.

प्रियंका, यूपी से लेकर किसी भी राज्य की जिम्मेदरी नहीं ली

प्रियंका गांधी ने यूपी की जिम्मेदारी तो छोड़ दी, लेकिन किसी दूसरे राज्य की प्रभारी नहीं बनीं. ये बात किसी से छुपी नहीं है कि गांधी परिवार का कांग्रेस में कितना प्रभाव है. ऐसे में क्या प्रियंका गांधी अपने भाई राहुल गांधी की राह पर चल रही हैं? जैसे मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी प्रमुख की कुर्सी पर बिठाकर राहुल गांधी खुद ही पर्दे के पीछे से सब कुछ करते नजर आ रहे हैं. वह पार्टी के बड़े फैसलों के केंद्र में रहते हैं लेकिन पार्टी की किसी जिम्मेदारी या कुर्सी से बंधे नहीं होते.

सचिन पायलट को प्रमोशन मिला

मालूम हो कि कांग्रेस के इस फेरबदल में सचिन पायलट को प्रमोशन मिला है. पायलट को महासचिव बनाया गया है. इसके अलावा उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रभार भी सौंपा गया है. इस बहाने राजस्थान में हार के बाद अशोक गहलोत को संदेश देने की कोशिश की गई है. वहीं बिहार में पार्टी को राजद और जदयू के सामने खड़ा रखने की जिम्मेदारी मोहन प्रकाश को मिली है.

किसे कहां सौंपा कमान

इसके अलावा दीपक बाबरिया को दिल्ली का प्रभारी बनाया गया है. वहीं, मुकुल वासनिक को गुजरात में मोदी लहर को रोकने का जिम्मा सौंपा गया है. वहीं मध्य प्रदेश में हार के बाद रणदीप सुरजेवाला से प्रभार छीन लिया गया है. हालांकि, उन्हें कर्नाटक प्रभारी के रूप में बरकरार रखा गया है. कुमारी शैलजा को छत्तीसगढ़ से हटा दिया गया है. लेकिन उत्तराखंड की जिम्मेदारी सौंपी गई है. कांग्रेस ने रमेश चेन्निथला को महाराष्ट्र, राजीव शुक्ला को हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ का प्रभार सौंपा है. सुखजिंदर सिंह रंधावा को राजस्थान और देवेंद्र यादव को पंजाब का प्रभारी नियुक्त किया गया है. सुरजेवाला की जगह असम प्रभारी जितेंद्र सिंह को मध्य प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है.

2024 में कांग्रेस की बड़ी चुनौतियां

2024 के लिहाज से कांग्रेस की चुनौतियां पहाड़ जैसी हैं. कांग्रेस को हिंदी पट्टी और पश्चिमी भारत में मोदी ब्रिगेड के खिलाफ चमत्कारिक प्रदर्शन करना होगा. लेकिन उससे पहले I.N.D.I.A. पार्टी को कुनबे के भीतर भी अपनी ताकत दिखानी होगी. कांग्रेस की मंशा है कि इस गठबंधन की कमान उसके हाथ में रहे. इसके लिए पार्टी में नेशनल अलायंस कमेटी का गठन किया गया है ताकि सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे को मंजूरी दी जा सके.

जाहिर है I.N.D.I.A. कुनबे का भविष्य सीटों के बंटवारे पर निर्भर करता है. सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी जनवरी के दूसरे हफ्ते से भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा सीजन शुरू करने जा रहे हैं और इस यात्रा पर कांग्रेस का चुनावी भविष्य निर्भर है.