Holy City: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए अमृतसर के वॉल्ड सिटी, तलवंडी साबो और श्री आनंदपुर साहिब को पवित्र शहर का दर्जा दिया है. इन शहरों में सिखों के प्रमुख तख्त साहिब स्थित हैं. मुख्यमंत्री मान और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि दशकों से श्रद्धालु इन शहरों को धार्मिक रूप से मान्यता देने की मांग कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि पंजाब में कुल पांच तख्त साहिबान में से तीन श्री अकाल तख्त साहिब (अमृतसर), तख्त श्री दमदमा साहिब (तलवंडी साबो) और तख्त श्री केसगढ़ साहिब (श्री आनंदपुर साहिब) स्थित हैं. उन्होंने बताया कि श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र श्री आनंदपुर साहिब में आयोजित किया गया.
मुख्यमंत्री मान और अरविंद केजरीवाल ने गुरु साहिब के योगदान और बलिदान को याद करते हुए कहा कि गुरु तेग बहादुर ने मानव अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए. उन्होंने बताया कि गुरु साहिब ने स्वयं श्री आनंदपुर साहिब बसाया और उनके पुत्र गुरु गोबिंद सिंह जी ने यहीं लगभग तीस वर्ष तक जीवन व्यतीत किया. इसी पवित्र धरती पर खालसा पंथ की स्थापना हुई और तीन साहिबजादों का जन्म हुआ, जिनकी कुर्बानियां इतिहास में अद्वितीय हैं.
प्रदेश सरकार ने इन शहरों में मांस, शराब, तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों के उपयोग और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम सिर्फ धार्मिक कारणों से नहीं, बल्कि पंजाब की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है. सरकार इन शहरों के धार्मिक पर्यटन और सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देगी.
पंजाब विधानसभा में प्रस्तुत प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर इन शहरों को पवित्र घोषित किया गया. इसके साथ ही सभी धार्मिक संस्थाओं से संबंधित सर्व-धर्म समिति का गठन भी किया जाएगा, जिसमें विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. मुख्यमंत्री मान ने कहा कि प्रदेश सरकार इन शहरों की स्वच्छता, सुरक्षा और धार्मिक पर्यटन के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष प्रयास करेगी और इसके लिए आवश्यक बजट और केंद्रीय सहायता भी ली जाएगी.
भगवंत सिंह मान ने गुरु तेग बहादुर जी के योगदान और उनके आदर्शों को याद करते हुए कहा कि उनका जीवन धर्मनिरपेक्षता, मानवता और एकता का प्रतीक है. उन्होंने लोगों से प्रेरणा लेने और गुरु साहिब के दिखाए मार्ग पर चलने का आग्रह किया. मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इन समारोहों को हर साल आयोजित किया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए गुरु साहिब की विरासत को जीवित रखा जा सके.