चंडीगढ़: पंजाब लंबे समय से नशे की समस्या से जूझता रहा है, जिसका सबसे गहरा असर युवाओं पर पड़ा. लेकिन अब तस्वीर बदलती नजर आ रही है. मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य सरकार युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए खेलों को केंद्र में रखकर नई दिशा दे रही है.
गांवों में आधुनिक स्टेडियम, खेल नीतियों में सुधार और बड़े बजटीय आवंटन के जरिए सरकार ऐसा माहौल बना रही है, जहां युवा भविष्य को खेल के मैदान में तलाश रहे हैं.
मान सरकार ने नशे के खिलाफ केवल सख्त कार्रवाई तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि युवाओं को सकारात्मक विकल्प देने पर जोर दिया है. खेलों को बढ़ावा देकर सरकार युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा में मोड़ना चाहती है. गांवों में खेल मैदान तैयार कर युवाओं को ऐसा मंच दिया जा रहा है, जहां वे समय, प्रतिभा और मेहनत को सही उपयोग में ला सकें.
पंजाब सरकार ने इस साल के बजट में खेलों के विकास के लिए 979 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. यह राज्य के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा खेल बजट है. इस राशि से खेल अवसंरचना, प्रशिक्षण सुविधाएं और प्रतियोगिताओं को मजबूत किया जाएगा. सरकार का मानना है कि मजबूत खेल संस्कृति ही स्वस्थ और नशामुक्त पंजाब की नींव बन सकती है.
राज्य के करीब 13,000 गांवों में आधुनिक खेल मैदान विकसित करने की योजना बनाई गई है. पहले चरण में 3,083 गांवों में निर्माण और नवीनीकरण का काम शुरू हो चुका है. ये स्टेडियम केवल खेल के मैदान नहीं होंगे, बल्कि गांवों की नई पहचान बनेंगे. यहां बच्चों और युवाओं को अभ्यास, प्रतियोगिता और फिटनेस के लिए बेहतर सुविधाएं मिलेंगी.
नई खेल नीति 2023 के तहत प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का निष्पक्ष चयन और उन्हें बेहतर संसाधन देने पर जोर दिया गया है. ‘खेडां वतन पंजाब दियां’ जैसे आयोजनों ने खेलों को जन-आंदोलन का रूप दिया है. इसके तीसरे संस्करण में करीब पांच लाख खिलाड़ियों ने 37 खेलों में हिस्सा लिया. पैरास्पोर्ट्स को शामिल कर समावेशी खेल संस्कृति को भी बढ़ावा दिया गया.
सरकार ने हेरिटेज खेलों से प्रतिबंध हटाकर बैलगाड़ी दौड़, घुड़दौड़ और कुत्तों की दौड़ जैसी पारंपरिक प्रतियोगिताओं को फिर से शुरू किया है. इससे युवाओं का जुड़ाव अपनी संस्कृति से बढ़ा है. साथ ही 1,000 स्पोर्ट्स नर्सरियों के जरिए विश्वस्तरीय कोचिंग और संसाधन दिए जा रहे हैं, ताकि पंजाब फिर से देश को शीर्ष खिलाड़ी दे सके.