भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक कदम, राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री के बीच चर्चा

अपने भाषण में राजनाथ सिंह ने आतंकवाद को वैश्विक खतरा बताया. उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की आलोचना की. सिंह ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने सभी देशों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की.

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Courtesy: Social Media

India China Relations: भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क़िंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में पहुंचे. जहां उन्होंने भारत-चीन सीमा को लेकर चीनी रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने भारत-चीन संबंधों पर खुलकर चर्चा की. बातचीत में रचनात्मक और दूरदर्शी विचारों का आदान-प्रदान हुआ. सिंह ने इस मुलाकात को सकारात्मक बताया. उन्होंने कहा कि दोनों देशों को संबंधों में सकारात्मक गति बनाए रखनी चाहिए.

राजनाथ सिंह ने छह साल बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने पर खुशी जताई.उन्होंने इसे दोनों देशों के बीच सहयोग का प्रतीक बताया. सिंह ने कहा कि हमें ऐसी कार्रवाइयों से बचना चाहिए जो संबंधों में जटिलताएं पैदा करें. उन्होंने चीनी समकक्ष को मधुबनी पेंटिंग जीवन का वृक्ष भेंट की.  यह पेंटिंग बिहार के मिथिला क्षेत्र की है और ज्ञान व जीवन शक्ति का प्रतीक है.

एससीओ विज्ञप्ति पर भारत का सख्त रुख

एससीओ बैठक में भारत ने संयुक्त विज्ञप्ति पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. इसका कारण पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख न होना और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को अनदेखा करना था. उन्होंने कहा कि आतंकवादियों, उनके आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों की जवाबदेही तय होनी चाहिए. बैठक में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव देखा गया.भारत ने पहलगाम हमले को विज्ञप्ति में शामिल करने की मांग की. लेकिन पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में आतंकवाद का मुद्दा उठाकर भारत पर दोष मढ़ने की कोशिश की.इससे गतिरोध पैदा हुआ. एससीओ सर्वसम्मति के सिद्धांत पर काम करता है. इस असहमति के कारण सम्मेलन बिना संयुक्त विज्ञप्ति के समाप्त हुआ.

आतंकवाद पर भारत का स्पष्ट संदेश

अपने भाषण में राजनाथ सिंह ने आतंकवाद को वैश्विक खतरा बताया. उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की आलोचना की. सिंह ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने सभी देशों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की. भारत की यह स्थिति उसकी आतंकवाद विरोधी नीति को दर्शाती है. सिंह और डोंग जून की मुलाकात ने दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की उम्मीद जगाई है. कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली सांस्कृतिक और कूटनीतिक सहयोग का प्रतीक है.भारत ने साफ किया कि वह शांति और सहयोग चाहता है, लेकिन अपनी सुरक्षा और हितों से समझौता नहीं करेगा.

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