अमेरिकी सीनेटर की भारत को चेतावनी! रूस से तेल खरीदने वालों पर ट्रंप लगाएंगे कड़ा टैरिफ

ग्राहम ने चेतावनी दी कि ट्रंप इन देशों पर 100% टैरिफ लगाएंगे. ये देश पुतिन की मदद बंद करें, वरना अमेरिकी अर्थव्यवस्था के साथ व्यापार चुनना होगा. उन्होंने भरोसा जताया कि ये देश अमेरिका को चुनेंगे.

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Courtesy: Social Media

Russia India Ties: अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों को कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ऐसे देशों पर भारी टैरिफ लगाएंगे. खास तौर पर भारत, चीन और ब्राज़ील का नाम लिया गया. ग्राहम ने कहा कि भारत, चीन और ब्राज़ील रूस से सस्ता तेल खरीद रहे हैं. यह तेल रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की युद्ध मशीन को मज़बूती देता है. 

ग्राहम ने चेतावनी दी कि ट्रंप इन देशों पर 100% टैरिफ लगाएंगे. ये देश पुतिन की मदद बंद करें, वरना अमेरिकी अर्थव्यवस्था के साथ व्यापार चुनना होगा. उन्होंने भरोसा जताया कि ये देश अमेरिका को चुनेंगे.

ईरान के बाद अब रूस की बारी 

ग्राहम ने पुतिन की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि पुतिन पूर्व सोवियत संघ को फिर से बनाने की कोशिश कर रहे हैं. 1990 के दशक में यूक्रेन ने 1,700 परमाणु हथियार रूस के भरोसे पर छोड़े थे. ग्राहम ने कहा कि पुतिन ने वह वादा तोड़ा. उन्होंने जोड़ा कि पुतिन तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक कोई उन्हें न रोके. ग्राहम ने पुतिन को सीधे चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि ट्रंप ईरान से निपटने के बाद आपकी बारी लेंगे. ट्रंप अमेरिकी कूटनीति के माहिर खिलाड़ी हैं. वह आपकी अर्थव्यवस्था को तबाह कर देंगे. ग्राहम ने यूक्रेन को हथियार भेजने की बात भी कही, ताकि वह रूस से मुकाबला कर सके.

भारत, चीन और ब्राज़ील के लिए अल्टीमेटम

ग्राहम ने भारत, चीन और ब्राज़ील को साफ शब्दों में चेताया. उन्होंने कहा कि सस्ता रूसी तेल खरीदना युद्ध को बढ़ावा देता है. अगर आप ऐसा करते रहे, तो आपकी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा. यह खून का पैसा है. ग्राहम ने कहा कि ट्रंप इस खेल को और बर्दाश्त नहीं करेंगे. ग्राहम ने पुतिन को सलाह दी कि वह बातचीत की मेज़ पर आएं. उन्होंने कहा कि पुतिन की हार तय है. ट्रंप की नीतियां रूस की अर्थव्यवस्था को कमज़ोर करेंगी. ग्राहम ने ज़ोर देकर कहा कि ट्रंप का टैरिफ अन्य देशों के लिए भी चेतावनी है. अमेरिकी सीनेटर की इस चेतावनी से वैश्विक व्यापार पर असर पड़ सकता है. भारत, चीन और ब्राज़ील जैसे देशों को अब कठिन फैसला लेना होगा. रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखना या अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्ते बनाए रखना, यह एक बड़ा सवाल है.

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