बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन को झटका, मोहनिया से राजद उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन खारिज

RJD Shweta Suman Nomination: कैमूर मोहनिया विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन चुनाव आयोग ने रद्द कर दिया है. यह फैसला बुधवार को लिया गया.

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RJD Shweta Suman Nomination: कैमूर मोहनिया विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन चुनाव आयोग ने रद्द कर दिया है. यह फैसला बुधवार को लिया गया. नामांकन रद्द होने के पीछे की वजह उनके निवास स्थान को लेकर अनियमितताएं बताई गई हैं. इस घटना ने क्षेत्र में राजनीतिक हलचल तेज कर दी है.

चुनाव आयोग के अनुसार, श्वेता सुमन ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में अपना मूल निवास उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में दर्ज किया था. लेकिन 2025 के चुनाव में उन्होंने अपना निवास बिहार बताया. इस बदलाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अनियमितता का आरोप लगाया और चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई. शिकायत की जांच के बाद आयोग ने सुमन का नामांकन रद्द करने का फैसला किया.

राजद कार्यकर्ताओं में नाराजगी

श्वेता सुमन ने इस फैसले पर निराशा जताई है. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें बुधवार को नामांकन की स्क्रूटनी के लिए बुलाया गया था. लेकिन अधिकारियों ने पहले ही लिखित में फैसला सुना दिया था. सुमन ने बताया कि मुझे सूचित किया गया कि मेरा नामांकन रद्द होगा. मैं अपनी बात रखना चाहती थी, लेकिन अधिकारी मेरी दलीलें सुनने को तैयार नहीं थे. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें कानूनी रास्ता अपनाने की सलाह दी गई है. नामांकन रद्द होने के बाद राजद कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है. पार्टी समर्थकों का कहना है कि यह फैसला पक्षपातपूर्ण है. वहीं, भाजपा ने इसे नियमों का पालन बताते हुए स्वागत किया है. एक स्थानीय भाजपा नेता ने कहा कि चुनाव में पारदर्शिता जरूरी है. गलत जानकारी देने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

चुनाव आयोग ने दी सलाह

चुनाव आयोग ने सुमन को सलाह दी है कि वे चाहें तो अदालत का रुख कर सकती हैं. जानकारों का मानना है कि सुमन इस मामले को हाई कोर्ट में चुनौती दे सकती हैं. हालांकि, समय की कमी के कारण उनके लिए यह रास्ता आसान नहीं होगा. यह घटना कैमूर मोहनिया के मतदाताओं के बीच चर्चा का विषय बन गई है. लोग इस फैसले को लेकर अलग-अलग राय रख रहे हैं. कुछ का मानना है कि नियमों का पालन जरूरी है, वहीं कुछ इसे राजनीतिक साजिश का हिस्सा मान रहे हैं.

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