अनिल अंबानी की बढ़ती मुश्किलें! CBI ने की छापेमारी, ED की जांच भी जारी

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शनिवार को मुंबई में रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और अनिल अंबानी से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की. यह कार्रवाई 17,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में की गई.

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CBI raids Anil Ambani's Premises: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शनिवार को मुंबई में रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और अनिल अंबानी से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की. यह कार्रवाई 17,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में की गई.

सुबह करीब सात बजे सीबीआई के सात से आठ अधिकारी कफ परेड स्थित अंबानी के सीविंड आवास पर पहुंचे और तलाशी शुरू की. इस दौरान अनिल अंबानी और उनके परिवार के सदस्य मौजूद थे.

क्या है पूरा मामला?

सीबीआई ने यह छापेमारी रिलायंस एडीए समूह की कंपनियों से जुड़े कथित लोन फ्रॉड की जांच के तहत की है. जांच एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या बैंकों से लिए गए भारी-भरकम ऋण का दुरुपयोग किया गया.

सूत्रों के अनुसार, जांच का फोकस इस बात पर है कि क्या ये रकम ग्रुप की अन्य कंपनियों या शेल कंपनियों में स्थानांतरित की गई थी. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को इस कथित धोखाधड़ी से 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होने की बात सामने आई है, जिसके चलते सीबीआई ने रिलायंस कम्युनिकेशंस के खिलाफ औपचारिक मामला दर्ज किया.

ED की पहले से चल रही जांच

इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी इस मामले में कार्रवाई तेज की थी. अनिल अंबानी ने जांच में सहयोग के लिए दस्तावेज जमा करने हेतु 10 दिन का समय मांगा था, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इसका पूरी तरह पालन नहीं किया.

जांच का दायरा और गंभीरता

सीबीआई और ईडी दोनों ही इस मामले की गहराई से पड़ताल कर रहे हैं. जांच अधिकारी विशेष रूप से यस बैंक से लिए गए ऋणों की जांच कर रहे हैं. उनका उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या इन फंड्स को अनुचित तरीके से ग्रुप की अन्य इकाइयों या फर्जी कंपनियों में ट्रांसफर किया गया. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच एजेंसियों ने अपनी कार्रवाई को और तेज कर दिया है.

अनिल अंबानी की कंपनियों पर बढ़ता दबाव

रिलायंस एडीए समूह की कंपनियां पहले से ही वित्तीय संकट का सामना कर रही हैं. अनिल अंबानी के कारोबारी साम्राज्य को कई सालों से कर्ज और नुकसान की मार झेलनी पड़ रही है. अब सीबीआई और ईडी की संयुक्त जांच ने उनके लिए चुनौतियों को और बढ़ा दिया है. यह मामला न केवल उनकी कंपनियों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, बल्कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता और जवाबदेही के मुद्दों को भी उजागर करता है.

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